
पोल खोल चंडीगढ़
जालंधर स्थित वज्र कोर ने आज भारतीय सेना की एलीट आर्मर्ड कोर का 85वां स्थापना दिवस मनाया। वज्र कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा ने सभी पूर्व सैनिकों और सेवारत अधिकारियों की ओर से वज्र शौर्य स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने कोर के सभी सेवारत और सेवानिवृत्त कर्मियों को अपनी शुभकामनाएं दीं और कर्तव्य के प्रति निस्वार्थ समर्पण के लिए उनकी सराहना की।
14 अप्रैल,1938 को रावलपिंडी (अब पाकिस्तान में) में सक्रिय पहली रेजिमेंट, द सिंडी हॉर्स ने आखिरी बार अपने घोड़ों की परेड की थी। उन्होंने आने वाले हफ्तों में अपने माउंट ‘द शेवरले आर्मर्ड कारस’ और ‘विकर्स लाइट टैंक’ को एकत्र किया और 01 मई 1938 को अपना रूपांतरण प्रशिक्षण शुरू किया। इस प्रकार बख्तरबंद वाहनों का एक नया युग शुरू हुआ और इस अवसर को आज तक आर्मर्ड कॉर्प्स दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शामिल किए जाने वाले पहले उपकरण, शेवरलेट बख़्तरबंद कारें और विकर्स लाइट टैंक थे। पिछले 85 वर्षों में, भारतीय बख्तरबंद कोर ने एक लंबा सफर तय किया है और वर्तमान में टी-72 अजेय, टी-90 भीष्म और एमबीटी अर्जुन टैंकों के बेड़े से सुसज्जित है।
‘भयानक बाधाओं के सामने साहस’, बख्तरबंद कोर की स्थायी गाथा रही है और युद्ध के मैदान पर अपने अनुभव और वीरता के माध्यम से बख्तरबंद कोर द्वारा कई बार साबित कर चुका है।
दो विक्टोरिया क्रॉस, दो परम वीर चक्र, 16 महा वीर चक्र और 60 वीर चक्र हैं व अन्य सम्मान इसके योद्धाओं और सैन्य इकाइयों को प्रदान किए गए हैं।