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‘मोचा’ को लेकर हाई अलर्ट चक्रवाती तूफान

बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान ‘मोचा’ को लेकर पश्चिम बंगाल में अलर्ट जारी कर दिया गया है। कोलकाता के सभी पुलिस स्टेशनों को जनरेटर की व्यवस्था करने का आदेश दे दिया गया है।

 

यह निर्देश चक्रवात मोचा के लिए लालबाजार में शहर पुलिस मुख्यालय में स्थापित कमांड सेंटर द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का हिस्सा है। एसओपी ने आपदा प्रबंधन समूह (डीएमजी) को हाई अलर्ट पर रखा है। बंगाल में चक्रवाती तूफान के असर से 10 मई को कुछ जगहों पर 70-80 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। ओडिशा सरकार ने 18 तटीय और आसपास के जिलों को सतर्क कर दिया है।

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक न्यू टाउन के अधिकारी चक्रवात की तैयारी में सड़कों से पेड़ों की शाखाओं को हटाने के लिए 100 से अधिक पंप, सैंडबैग (नहर के किनारों की ऊंचाई बढ़ाने के लिए) और उपकरणों से लैस टीमों को तैयार कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कलकत्ता पुलिस के सभी नौ डिवीजनों के उपायुक्तों को जर्जर इमारतों की पहचान करने और अतिरिक्त कर्मियों की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है।

 

मौसम विभाग के सूत्रों ने मीडिया को बताया कि गुरुवार तक कोलकाता में बारिश की संभावना कम है। इसके अलावा कोलकाता में कंट्रोल रूम खोले गए हैं और चक्रवाती तूफान से जुड़े पहलुओं पर गहरी नजर रखी जा रही है। दरअसल, आशंका जताई जा रही है कि बंगाल में चक्रवाती तूफान का लैंडफॉल हो सकता है। ऐसे में पहले से ही सतर्कता बरती जा रही है।

 

बंगाल के दक्षिणी हिस्से में बुधवार तक बारिश की संभावना नहीं के बराबर है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मोचा चक्रवात कहां टकराएगा। वहीं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मोचा के चलते भारी बारिश की संभावता जताई गई है। पर्यटकों और मछुआरों के लिए भी चेतावनी जारी की गई है। इन द्वीप से सटे समुद्र में मछुआरों की आवाजाही सोमवार से गुरुवार तक प्रतिबंधित है।

 

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने मीडिया से कहा कि नौ मई के आसपास बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में कम दबाव का क्षेत्र बनने और इसके चक्रवाती तूफान में बदलने की आशंका है।

 

मौसम कार्यालय ने मछुआरों को बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में रविवार से 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की चेतावनी दी है। मौसम कार्यालय अनुसार जो लोग बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्व में हैं, उन्हें सात मई से पहले और जो लोग बंगाल की मध्य खाड़ी में हैं, उन्हें नौ मई से पहले सुरक्षित स्थानों पर लौटने की सलाह दी जाती है।

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