
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात में जिला जजों की नियुक्तियों से जुड़े मामले पर सीनियर जज और एडवोकेट में जमकर कहासुनी हुई। मामले में नौबत यहां तक आ गई कि वकील ने जस्टिस को धमकी न देने की चेतावनी तक दे दी। न्यायालय में जिला जज के पद के एक उम्मीदवार ने गुजरात सरकार और गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें मेरिट से पहले वरिष्ठता को तरजीह देने की बात कही गई थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने बेंच से सवाल किया कि क्यों इस मामले को तत्काल निपटाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि जबकि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक अन्य बेंच ऑल इंडिया जज एसोसिएशन के मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें प्रमोशन, शर्तें और नियुक्तियां जैसी बातें शामिल हैं।
दवे ने कहा कि लॉर्डशिप इस मामले को निपटाने की जल्दी में क्यों है, जब कोर्ट 1 में बड़े मामले पर विचार जारी है? मैं इसपर गंभीरता से आपत्ति जता रहा हूं। इसपर जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि करियर के अंत में मुझे आपके बारे में कुछ कहने के लिए मजबूर न करें। मेरिट पर बात करें। दवे ने जवाब दिया, माई लॉर्ड मुझे धमकी न दें। मैं अपनी बात रख रहा हूं।
जस्टिस शाह 15 मई को रिटायर होने जा रहे हैं। याचिकाकर्ता का कहना था कि वरिष्ठता से पहले मेरिट को तवज्जो मिलनी चाहिए। कहा गया कि याचिकाकर्ताओं से कम नंबर वाले उम्मीदवारों को नियुक्त कर दिया गया है। खास बात है कि शीर्ष न्यायालय की बेंच ने इस मामले में 13 अप्रैल को हाईकोर्ट और गुजरात सरकार से जवाब मांगा था।
जबकि कुछ दिन बाद ही सरकार ने प्रमोशन की लिस्ट जारी कर दी थी। शीर्ष न्यायालय की तरफ से जारी आदेश में इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया था। इस मामले में संबंधित सचिव और हाईकोर्ट से भी जवाब तलब किया गया था।
जस्टिस शाह ने कहा था, हम ऐसे कामों को स्वीकार नहीं करते हैं, कोई भी इस कोर्ट की अवेहलना नहीं कर सकता। इसपर राज्य सरकार ने जवाब दिया था कि जारी अधिसूचना में कोर्ट की तरफ से पहले दिए गए निर्देशों का पालन किया गया था। कोर्ट ने अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया है।