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लोकसभा के चुनाव करवा सकती है मोदी सरकार नवंबर में

मौजूदा राजनीतिक हालात को देखते हुए मोदी सरकार मई 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को समय पूर्व कर सकती है। सत्ता के गलियारों में यह कयास लगाए जा रहे हैं, कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ ही नवंबर में लोकसभा चुनाव भी हो सकते हैं। लोकसभा चुनाव समय से पहले कराए जाने के हालात दिखने लगे हैं। विपक्षी एकता के प्रयास तेज हो गए हैं। कर्नाटक में मोदी मैजिक नहीं चला है। मोदी की धुआंधार चुनावी सभाओं के बावजूद कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी पराजित हो गई है। कर्नाटक की जनता ने एक तरह से मोदी के करिश्मे को नकार दिया है। पिछले 5 साल में कुल 6 राज्यों में भाजपा अपने दम पर चुनाव जीती है। जिनमें से उत्तरप्रदेश और गुजरात ही सबसे बड़े राज्य हैं। कर्नाटक और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में चुनाव हारने के बाद भी दल-बदल के बाद भाजपा को सत्ता मिली है। बिहार, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भाजपा के गठबंधन टूटे और फिर सरकार गिरने के बाद बने हैं।

 

 

 

कुल मिलाकर गुजरात और उत्तरप्रदेश को छोड़ दिया जाए तो देश के किसी भी राज्य में भाजपा को वैसा समर्थन नहीं मिला। दूसरी तरफ अडानी के मुद्दे पर भी भाजपा सरकार की किरकिरी हुई है। अडानी को सुप्रीम कोर्ट से भले ही क्लीन चिट मिल गई हो लेकिन सेबी ने जिस तरह अडानी को प्रोटेक्ट करने के लिए पहले से ही कानून में बदलाव किया था वह सरकार के लिये परेशानी का कारण बन रहा है। मोदी सरकार को एक बड़ी चुनौती जंतर – मंतर पर आंदोलन कर रहे पहलवानों से भी मिल रही है। भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और अपने सांसद बृजभूषण सिंह को संरक्षण देने के लिए जिस तरह पोक्सो एक्ट के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। उससे सारे देश की महिलाओं में सरकार के खिलाफ माहौल बना है। मोदी सरकार के लिए अगली सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के बैनर तले विपक्षी एकता की है। कर्नाटक चुनाव के बाद विपक्षी राजनीति में कांग्रेस के प्रभाव और वर्चस्व में वृद्धि हुई है।

 

 

ममता बनर्जी जैसे राजनीतिज्ञों ने भी कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुटता पर सहमति जता दी है। 20 विपक्षी दलों द्वारा नई संसद के उद्घाटन में राष्ट्रपति को ना बुलाए जाने को मुद्दा बनाते हुए उद्घाटन समारोह के बहिष्कार ने भी विपक्ष को एकजुट होने का मौका दिया है। ऐसी स्थिति में सरकार विरोधी माहौल थामने और विपक्षी एकजुटता को तोड़ने के लिए मोदी सरकार समय से पहले चुनाव करवा सकती है। इससे एक तरफ एंटी इनकंबेंसी का असर कुछ कम पड़ेगा तो दूसरी तरफ राज्यों में एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाला विपक्ष भी एकजुट नहीं हो पाएगा। अभी हालात वैसे भी नहीं है जैसे 2004 में अटल बिहारी वाजपेई के समय थे। अभी भाजपा बहुमत में है, उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्यों में भी अपने दम पर काबिज है। 2000 के नोटबंदी को भी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों से जोड़ा जा रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार चन्द्र में शनि की दशा भी मोदी सरकार की चुनौतियों को बढ़ा रही है। 30 मई के बाद से देश के राजनीतिक समीकरण बडी तेजी के साथ बदलने के हालात बन गए है। इसलिए मोदी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ लोकसभा समय चुनाव करवा कर फिर से सरकार बनाने की कोशिश कर सकते हैं।

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