Sonebhadra:नियमों को ताक पर रखकर जिले में बंगाली दवाखाना का चल रहा है तांडव मरीजो से वशूली जा रही है मोटी रकम

अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करने के बाद आखिर कैसे संचालित है फर्जी बंगाली दवाखाना क्लीनिक
पोल खोल सोनभद्र
जनपड सोनभद्र,में बंगाली दवाखाना का बोल बाला हर गली मोहल्ले में छाया हुआ है सारे नियम कानून को ताक पर रखकर लोगों को जिंदगी के साथ कर रहा है खिलवाड़।तथाकथित डॉक्टर सरेआम सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए क्लीनिक खोलकर आए हुए मरीजों को इंजेक्शन लगाना एवं आपरेशन करना कहीं न कहीं बड़ा हादसा हो रहा है। सूत्रों की माने तो यह डॉक्टर बवासीर वह हाइड्रोसील का ऑपरेशन करने का 10 से ₹15 हजार रूपए मरीजों से लेता है। साथ में अंग्रेज़ी दवा रखकर मरिजो को देता है।
जिससे कई बार ग्राहक से आए दिन तू तू मैं तक होता रहता है।आखिर जिले के आला अधिकारी क्यों नहीं करते हैं कार्रवाई,बिना कोई डिग्री अब बगैर लाइसेंस के संचालित है क्लीनिक।जानकारी के अनुसार पता चला है कि,भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 में राज्य को लोक स्वास्थ्य के रक्षण का कार्य सौंपा गया है जिसके पालन में 2010 में भारत सरकार के द्वारा रूजोउपचार स्थापना एवं पंजीकरण अधिनियम 2010 लाए गए जिसके तहत किसी भी रूप में किसी भी व्यक्ति के द्वारा चाहे वह सरकारी हो या निजी चाहे वह व्यक्तिगत हो या समूह में वह किसी भी प्रकार से बीमारियों का संरक्षण इलाज, प्रसुतिगृह ,औषधालय क्लीनिक,सैनिटोरियम,नर्सिंग होम या कोई भी संस्था चाहे किसी भी नाम से जो किसी भी मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति में संचालित किया जा रहा हो उसका पंजीकरण इस अधिनियम के दायरे में लाया गया इसी के साथ न्यूनतम इलाज प्रोटोकॉल एवं मानक इलाज प्रोटोकॉल निर्धारित किया गया।
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य यह है कि क्लीनिक एवं नर्सिंग होम खोलने से पहले क्या प्रोटोकॉल पालन किया जाना चाहिए जिससे कि लोगों की स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।इस अधिनियम के तहत संबंधित क्लीनिक और नर्सिंग होम के द्वारा भी एक रजिस्टर मेंटेन किया जाना चाहिए और जब भी सरकार के द्वारा उसकी जानकारी मांगी जाए तब उन्हें सरकार को प्रस्तुत करना आवश्यक है।
इस अधिनियम में यह भी प्रावधान किया गया है की परमानेंट लाइसेंस क्लिनिको को जारी नहीं किया जाएगा पहले 2 साल का प्रोबेशनरी लाइसेंस जारी किया जाएगा और उस 2 साल के प्रोबेशनरी पीरियड में अगर क्लिनिक के द्वारा पूरे नियम कानून का अच्छे से पालन किया जाता है तभी परमानेंट लाइसेंस जारी किया जाएगा यह परमानेंट लाइसेंस भी हमेशा के लिए नहीं होता है सिर्फ 5 साल के लिए होता है 5 साल के बाद इसे पुनः रिन्यू करवाना होता है। सुत्रों को माने तो ना ही बंगाली डॉक्टर का जिले में कोई रजिस्टर्ड है ना ही कोई डिग्री है। केवल कुछ कथा कथित अधिकारियों की मिलीभगत से जिले में बंगाली डॉक्टर के दुकाने कई संचालित है।