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पनीर और छेना में है बड़ा अंतर, जानें सेहत के लिए क्या है बेहतर

 

पनीर और छेना, दोनों ही हाई प्रोटीन वाला फूड है। दोनों को ही लोग कच्चा खाना पंसद करते हैं तो, कुछ लोग सब्जी, सैंडविच और भुर्जी खाना पसंद करते हैं। लेकिन, सवाल ये है कि क्या ये दोनों ही चीजें एक हैं? बता दें कि अक्सर लोग इन दोनों ही चीजों को एक साथ समझते हैं और उन्हें लगता है कि ये दूध से ही बनता है और प्रोसेस एक जैसा ही तो ये एक ही है और शरीर को एक सा ही पोषण देता है। पर इन दोनों में अंतर है और ये बड़ा है। क्या है ये अंतर आइए, हम आपको बताते हैं विस्तार से इन दोनों ही चीजों के बारे में।

पनीर और छेना दोनों को ही दूध को सिरका या नींबू की मदद से फाड़कर बनाया जाता है। पर दोनों के बीच फर्क ये है कि पनीर से पूरी से पानी निकाल लिया जाता है जिससे ये ड्राई हो जाता है और हाइड्रेशन की कमी हो जाती है। छेना में पनीर से ज्यादा नमी होती है। एक में पानी होता है और दूसरा बिलकुल सूखा।

छेना और कुछ नहीं बल्कि जमा हुआ दूध है जो दूध को फूड एसिड नींबू के रस के साथ मिलाकर बनाया जाता है। इसे फुल फैट गाय के दूध से तैयार किया जाता है।

आपको इसे ताजा बनाना चाहिए और तुरंत इसका इस्तेमाल करना चाहिए। आप इसे समय से पहले बनाकर फ्रिज में स्टोर नहीं कर सकते हैं। अन्यथा, यह बनावट को बदल देगा और स्वाद का नुकासन हो जाता है।

पनीर बनाने के लिए कुछ अतिरिक्त चीजें की जाती है। एक बार छेना बन जाने के बाद, अगले स्टेप में पनीर बनाने के लिए छेना पर वजन या दबाव डाला जाता है। इसलिए छेना मुलायम, भुरभुरा होता है जबकि पनीर सख्त होता है ताकि आप इसके क्यूब्स बना सकें।

छेना, पनीर से बेहतर इसलिए है क्योंकि इसे बना कर कुछ घंटों के बीच खाया जा सकता है। जबकि, पनीर बन कर लंबे समय तक चलता रहता है जिसकी फ्रेशनेस और अच्छे होने का कोई प्रमाण नहीं है। वहीं, छेना 4 से 6 घंटे बाद से ही खराब होने लगता है। साथ ही छेना (chhena benefits) में प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा पनीर से ज्यादा होती है। इसे दिल के मरीज, वेट लॉस करने वाले और डायबिटीज के मरीज भी इसे खा सकते हैं।

 

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