Sidhi : सिर्फ कागजों में मिल रहा आंगनबाड़ी केंद्रों का लाभ

खाना व नाश्ता के नाम पर प्रतिमांह लाखों का बजट हो रहा आहरण
केंद्र का नहीं हो रहा संचालन जबकि दो सगी बहने हैं पदस्थ
पोल खोल सीधी
(संजय सिंह)
एक तरफ जहां केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं स्वाबलंबन के लिए महिला बाल विकास विभाग के तहत कई कल्याणकारी योजनाएं लागू कर भारी भरकम बजट भी जारी किया जाता है लेकिन जिन अधिकारी/ कर्मचारियों को योजना के सही क्रियान्वयन एवं हितग्राहियों को लाभ दिलाने की जिम्मेदारी सौपी गयी है उनके द्वारा ही जब महज कागजों में ही योजना का लाभ देकर खानापूर्ति की जाती हो वह भी खंड मुख्यालय अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रो में तब सोचा जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों की दुर्दशा का क्या आलम होगा?
ताजा मामला नगर क्षेत्र मझौली के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 7 का आया है जो बरसों से कागजों में ही संचालित हो रहा है स्थानीय लोगों ने बताया कि इसके केंद्र में दो सगी बहने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के रूप में पदस्थ हैं जिसमें नूरजहां कार्यकर्ता है और रोशनी खां सहायिका है लेकिन केंद्र का संचालन महज कागजों में हो रहा है केंद्र कभी कभार ही कुछ मिनटों के लिए बस खुलता है इसकी जानकारी स्थानीय लोगों को भी नहीं हो पाती है। जिस कारण आंगनवाड़ी केंद्र का लाभ न तो बच्चों को मिलता है और न ही महिलाओं को मिलता है जबकि आंगनबाड़ी व सहायिका का मानदेय एवं खाना और नाश्ता का बजट प्रतिमांह जारी किया जाता है।
29 नवंबर को नगर क्षेत्र में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों का मिडिया टीम द्वारा लोगों के साथ जायजा करने पर पाया गया कि समय 11:30 से 1:30 के मध्य किसी भी केंद्र में नाश्ता नहीं पहुंचा था। केंद्र क्रमांक 8,6,9 में एक भी बच्चे नहीं पाए गए और ना ही नाश्ता पहुंचा जबकि केंद्र क्रमांक 3 में 12:46 बजे तक बच्चों को नाश्ता व भोजन नहीं आया था। ताज्जुब इस बात पर होता है कि इन आंगनबाड़ी केंद्रों में नियमानुसार संचालन हो जिसके लिए विभाग द्वारा सुपरवाइजर पदस्थ किया गया है साथ ही परियोजना अधिकारी का भी भ्रमण होता है
जिन्हें स्थानीय लोग कई बार वास्तविकता से अवगत भी करा चुके हैं लेकिन कोई सुधार नहीं हो रहा है इसलिए यह कहना कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मनमानी पूर्वक केंद्रों का संचालन कर रही हैं जिसमें सिर्फ वही जिम्मेदार हैं तो यह गलत होगा इसमें निगरानी करता सुपरवाइजर भी बराबर की जिम्मेदार हैं। ताज्जुब की बात यह है कि जब बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं आते हैं तो पौष्टिक नाश्ता और भोजन किसे दिया जाता है क्योंकि कागजों में बराबर खाना और नाश्ता “गंगा महिला स्व सहायता समूह” के द्वारा कागजों में दिया जाता है जो विभाग से अनुबंधित है।
ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि समूह के खाना एवं नाश्ता के वितरण को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सुपरवाइजर के द्वारा समय-समय पर सत्यापन भी किया जाता होगा तब जाकर उसका बिल भुगतान होता होगा ऐसे में यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि लाखों रुपए जिन महिला एवं बच्चों के नाश्ता एवं पोषण के लिए विभाग द्वारा जारी किया जाता है वह राशि समूह संचालक एवं विभाग के जिम्मेदार कर्मचारी/अधिकारी फर्जी तरीके से आहरण कर बंदरबांट कर रहे हैं जिस पर लोगों द्वारा नवागत कलेक्टर का ध्यान आकृष्ट कर जांच कार्यवाही की मांग की गई है।
जिला कलेक्टर के आदेश को दिखा रहे ठेंगा—
बताते चलें कि नवागत कलेक्टर द्वारा पदभार ग्रहण करने के बाद ही कड़ा आदेश जारी किया गया है कि आंगनबाड़ी केंद्रों का नियमानुसार संचालन हो और पात्र हितग्राहियों को शत प्रतिशत लाभ दिलाया जाए इसके बाद भी बाद से बदतर हालत बनी हुई है।
सन्तोष गुप्ता स्थानीय नागरिक
आंगनवाड़ी केंद्र क्रमांक 7 का न तो ठिकाना है और ना ही कभी खुलता है जिसके संबंध में मेरे द्वारा पार्षद से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों को कई बार मौखिक और मोबाइल में मैसेज भी किया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। जांच कार्यवाही होनी चाहिए।
रीतू ठाकुर सुपरवाइजर–
मेरे द्वारा सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बराबर निर्देश दिया जाता है लेकिन बच्चों की उपस्थिति शून्य होना गलत बात है सुधार के लिए प्रयास किया जाएगा। केंद्र क्रमांक 7 की बराबर शिकायत मिल रही है जिसके संबंध में कार्यकर्ता को नोटिस जारी किया गया है।
कुलदीप चौबे परियोजना अधिकारी–
जिन केंद्रों की जैसी स्थित है आप व्हाट्सएप पर मैसेज कर दीजिए लापरवाही करने वाली कार्यकर्ताओं/सहायिका पर जांच कार्यवाही की जाएगी।