मध्यप्रदेश

मामा जी सीधी मे विकास के नाम पर करोड़ों का हुआ गोलमाल।

मामा जी सीधी मे विकास के नाम पर करोड़ों का हुआ गोलमाल

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का सुर्खियों मे भ्रष्टाचार
सीईओ व कार्यपालन यंत्री की चल रही जुगलजोड़ी

सीधी:- विकास के नाम पर जिले मे व्यापक पैमाने में भ्रष्टाचार किया गया है, करोड़ों रूपये पानी की तरह बहा दिये गए लेकिन जमीनी हकीकत आज भी जस की तस बनी हुई है। यहां पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कार्यपालन यंत्री तथा जिला पंचायत सीईओ की जुगलबंदी ने नियमों को धता बताते हुए आदेश जारी किये गए है यही नही जिले के 6 हजार से अधिक कार्यो का भुगतान स्वीकृत राशि से भी अधिक किया गया है। यह जानकारी नरेगा की साइड में दर्ज है। बता दें कि आरईएस के कार्यपालन यंत्री हिमांशु तिवारी को उच्चस्तर अधिकारियों का जहां भरपूर संरक्षण मिल रहा है वहीं राजनेता भी भ्रष्टाचार के लिए खुली छूट दे रखे है। यही वजह है कि लगातार मीडिया में खबरें आने के बाद भी भ्रष्टाचारी कार्यपालन यंत्री के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नही हुई बल्कि दिल्ली एवं भोपाल से निरीक्षण करने आई टीम को भी गुमराह कर बैरंग भेज दिया गया। यहां अगर भ्रष्टाचारियों पर एक नजर दौड़ाई जाय तो जो तालाब निर्माण पंचायतें 15 लाख में कराती है वो निर्माण अगर आरईएस एजेंसी के माध्यम से कराया जाता है तो 50 लाख से ऊपर पहुंच जाता है। यही नही जिला पंचायत के रंग रोदन में करीब 25 लाख रूपये पानी की तरह बहा दिये गए।

विभिन्न निर्माण कार्यो का स्वीकृत से अधिक भुगतान:-
जिले में मनरेगा योजनान्तर्गत कराये गए विभिन्न निर्माण कार्यो में 6 हजार 39 निर्माण कार्यो का भुगतान जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा 100 प्रतिशत से अधिक किया गया है इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को भी है लेकिन आज तक दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गई। नरेगा पोर्टल में दर्ज ऑकड़ों की ओर नजर दौड़ाई जाय तो स्वीकृत से ज्यादा भुगतान के ऑकड़ों में सीधी जनपद सबसे अव्वल है तो मझौली सबसे निचले स्तर पर है। ऑकड़ों के अनुसार कुसमी में 867,मझौली 499,रामपुर नैकिन 1592,सीधी 1943 एवं सिहावल जनपद में 1138 स्वीकृत निर्माण कार्यो का भुगतान 100 प्रतिशत से ज्यादा किया गया है। यह भ्रष्टाचार का एक मात्र नमूना है पूरे मामले की जांच कराई जाय तो इस तरह के कई मामले उजागर हो सकते है।

जमकर जलसंरक्षण के नाम पर हुआ भ्रष्टाचार:-
जल संरक्षण के नाम पर केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा विशेष अभियान के तहत पुष्कर धरोहर एवं अमृत सरोवर योजना संचालित की गई लेकिन जिले में इस योजना का दीवाला निकल गया है। हालात यह है कि पुष्कर धरोहर योजना में पुराने स्त्रोतों को खोलने का कार्य किया जाना था लेकिन यह योजना सिर्फ विभाग के लिए दुधारू योजना साबित हुई है। इसी तरह अमृत सरोवर के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार किया गया स्थिति यह रही कि पैसों की बंदरबांट के लिए विभागीय अमले ने अनुपयोगी जगहों पर भी अमृत सरोवर का कार्य करा दिया। जहां मौके पर एक बूंद पानी नही दिखाई दे रहा है।

भ्रष्टाचार की झलकियां एक नजर मे:-
1- 3030.40 लाख गौशाला के नाम खर्च,दर-दर भटक रही गौमाता।
2- 10 करोड़ से अधिक खर्च फिर भी मुर्दो को नही मिला घर।
3- 60-40 के अनुपात की जमकर हुई अवहेलना।
4- बोल्डर परिवहन के नाम खप गए डेढ़ करोड़।
5- बिना प्रशिक्षण बना दिया मेट, लाखों का भुगतान।
6- ठंडे बस्ते में गया 298 सड़कों की स्वीकृती का मामला।
7- भंडार क्रय नियमो को ताक पर रख किया 54 करोड़ का भुगतान।
8- वरिष्ठ इंजीनियरों के रहते डिप्लोमा इंजीनियरों को दिया गया प्रभार।
9- जिले में 14 वां एवं 15 वां वित्त में जमकर हुआ गोलमाल।
10- फलोद्यान योजना में बर्बाद हुए 30.5 करोड़ रूपये।
11- स्थानातंरण के बाद भी नही भारमुक्त हुए प्रभारी कार्यपालन यंत्री।

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