मध्यप्रदेश

प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई मोहनिया बस दुर्घटना भोजन का पैकेट देने के लिए मोहनिया सड़क पर खड़ी कराई गई थी बसें।

प्रशासनिक लापरवाही के कारण हुई मोहनिया बस दुर्घटना
भोजन का पैकेट देने के लिए मोहनिया सड़क पर खड़ी कराई गई थी बसें
चोभरा दिग्विजय ङ्क्षसह गांव के 8 आदिवासियों का किया गया अंतिम संस्कार

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभा सतना में आदिवासी महाकुंभ के लिए सीधी से सतना गए 17 आदिवासी एवं अन्य की मोहनिया सुरंग के पास हुई बस दुर्घटना में मौत हो गई। जबकि आधा सैकड़ा लोग घायल हैं। जिनमें से 22 जिला चिकित्सालय एवं 00 रीवा हॉस्पिटल में उपचार कराया जा रहा है। गंभीर रूप से घायल तीन व्यक्तियों को एयर एंबूलेंस से वेदांता हॉस्पिटल दिल्ली के लिए भेजा गया है। उक्त घटना की जानकारी मिलते ही केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान ने ट्वीट कर गहरा शोक व्यक्त किया एवं सीधी कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं रीवा कमिश्रर, आईजी को बचाव कार्य करने के निर्देश दिए। मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए मुख्यमंत्री शिवराज ङ्क्षसह चौहान स्वयं घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया एवं रीवा हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों से मुलाकात कर उनके बेहतर उपचार के लिए डॉक्टरों एवं अधिकारियों को निर्देशित किए। घटना की जानकारी मिलते ही सीधी सांसद रीती पाठक, चुरहट विधायक शरदेन्दु तिवारी, पूर्व सांसद गोविंद मिश्रा, सीधी विधायक के पुत्र गुरुदत्त शरण शुक्ला, आप नेता अनेन्द्र मिश्रा राजन घटनास्थल में पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का अवलोकन कर चुरहट हॉस्पिटल में उपचार के लिए भर्ती मरीजों से मुलाकात किए। उक्त बस दुर्घटना पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही की वजह से हुई है। सतना महाकुंभ में जाने वाली सभी बसों को मोहनिया के पास भोजन का पैकेट देने की व्यवस्था की गई थी। सतना जिले की सीमा से लगे गांव जहां से सतना काफी नजदीक था उनको भी मोहनिया से इस लिए बुलाया गया था ताकि उन्हें भोजन का पैकेट दिए जाएं। ग्राम पंचायत चोभरा दिग्विजय सिंह के जिन 8 आदिवासियों की मृत्यु हुई है यदि उनको छुहिया घाटी के रास्ते सतना भेज दिया जाता तो शायद वे सब अकारण मौत के गाल से बच सकते थे।

आदिवासी विकास विभाग को मिली थी भोजन की जिम्मेदारी
सतना में आयोजित आदिवासी महाकुंभ में सीधी जिले से करीब 12 हजार लोगों को जाना था। इसके लिए विशेष बसों के अलावा दोपहर एवं शाम के भोजन की व्यवस्था भी शासन स्तर से की गई। व्यवस्था के लिए पर्याप्त बजट भी उपलब्ध कराया गया था। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हजारों लोगों को सीधी जिले से जाना था इस वजह से भोजन की व्यवस्था के लिए टेंडर के माध्यम से कार्य होना चाहिए था। किंतु सीधी जिले में भोजन के व्यवस्था की जिम्मेदारी आदिवासी विकास विभाग को सौंप दी गई। विभागीय अधिकारियों द्वारा छात्रावासों एवं आश्रमों के अधीक्षकों के माध्यम से लंच पैकेट तैयार कराए गए। जिससे बसों में जाने वाले लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा सके। इसी लापरवाही के चलते कई बसें भोजन की व्यवस्था बनानें में ही घंटो विलंब से कार्यक्रम स्थल में पहुंची।

2 बजे सतना में था कार्यक्रम, 1 बजे सीधी से रवाना हुई बस
सतना में गृह मंत्री भारत सरकार अमित शाह के आदिवासी महाकुंभ में 24 फरवरी को दोपहर 2 बजे से शामिल होने के लिए सीधी से 1 बजे पडख़ुरी ग्राम के लोगों को लेकर बस रवाना हुई। सतना पहुंचने के पहले ही आदिवासी महाकुंभ का कार्यक्रम समाप्त हो गया। इस कारण बस को वापस सीधी के लिए रवाना कर दिया गया। जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त अधिकारी कर्मचारी इस बात को ध्यान नहीं दिए कि जब 1 बजे बस से लोग जाएंगे तो कैसे 2 बजे सतना पहुंचकर कार्यक्रम में सहभागिता निभा सकते हैं। इसके बावजूद भी बस को सतना रवाना किया गया। यदि उक्त बस को सीधी में ही रोंक दिया जाता तो शायद बस दुर्घटना से पडख़ुरी वासी बस जाते। इस संबंध में बस में सवार एवं हादसे में घायल बालकरण ने बताया कि गांव से 24 फरवरी को दोपहर करीब 1 बजे बस सतना के लिए रवाना हुई। इस वजह से जब सतना बस पहुंची तो वहां कार्यक्रम समाप्त हो गया था। लिहाजा बस के लोग कार्यक्रम में बिना शामिल हुए ही लौट रहे थे। मोहनिया टनल को पार करने के बाद दो स्पेशल बस खड़ी हुई थी। इस वजह से उनकी बस सबसे आगे ले जाकर खड़ी कर दी गई। बस के खड़े होने के बाद सभी लोगों को भोजन के लिए लंच पैकेट बांटे जा रहे थे। उसी दौरान यह घटना घटित हो गई। वहीं बताया गया है कि चुरहट के पहले सर्रा में भी आठ बसों को 24 फरवरी को दोपहर करीब 12:30 बजे खड़ी करके उसमें सवार लोगों को भोजन के रूप में लंच पैकेट दिए जा रहे थे।

आखिर किसने बनाया था सतना जाने का रूट चार्ट
सीधी से सतना आदिवासियों को ले जाने वाली बसों का रूट चार्ट मोहनिया वाया रीवा होकर सतना पहुंचने का रूटचार्ट किसने तैयार किया था। ग्राम पंचायत चोभरा दिग्विजय ङ्क्षसह, बाघड़ से जो बसें सतना जा रही थी उनको यदि वाया गोविंदगढ़ की तरफ से भेजा जाता तो बसें 88 किलोमीटर की दूरी तय कर सतना पहुंच जाती। किंतु जिला प्रशासन के द्वारा उक्त बसों को चोभरा से मोहनिया वाया रीवा होकर सतना भेजा गया। जिससे उक्त बसों से 145 किलोमीटर तय कर सतना पहुंची। यदि उन्हें वाया गोविंदगढ़ तरफ से भेजा जाता तो बसों को 57 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय न करना पड़ता। यदि चोभरा दिग्विजय सिंह और बाघड़ से आदिवासियों को लेकर वाया गोविंदगढ़ होकर बस सतना जाती तो शायद 8 लोगों को अपनी जान न गवानी पड़ती।

24 घंटे बाद भी नहीं उठा जिम्मेदारों का फोन
मोहनिया बस दुर्घटना को 24 घंटे बीतने के बाद भी जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी मीडियाकर्मियों के फोन नहीं उठाए और न ही किसी प्रकार से घटना के संबंध में कोई अधिकृत जानकारी ही दी गई। उक्त घटना में कितने लोगों की मौते हो चुकी हैं एवं उनके नामों की जानकारी तक जिला प्रशासन की तरफ से मीडियाकर्मियों को नहीं उपलब्ध कराई गई। इस बात की नाराजगी सोशल मीडिया में मीडियाकर्मियों के द्वारा व्यक्त किए जाने के बाद आधी-अधूरी जानकारी सोशल मीडिया में डालकर जिला प्रशासन ने महज औपचारिकता करनें का प्रयास किया। जिला प्रशासन के इस असंवेदनशील रवैये के कारण जिले के मीडियाकर्मियों में काफी आक्रोष छाया हुआ है। जिला प्रशासन अपने कृत्यों में पर्दा डालने का भरपूर प्रयास कर रहा है।

बस में सवार लोगों की जिला प्रशासन के पास नहीं थी नामों की सूची
सतना आदिवासी महाकुंभ में जिले से 12 हजार आदिवासियों को सतना बसों से भेजा गया था। किस बस में किस गांव से कौन व्यक्ति बैठा है इसकी जानकारी एवं सूची जिला प्रशासन के पास नहीं थी। बस दुर्घटना होने के बाद मृतकों और घायलों की पहचान करनें में काफी फजीहत उठानी पड़ी। जबकि बसों में सवार व्यक्तियों की सूची तैयार करनें के बाद ही बस को सतना के लिए रवाना किया जाना था। वैसे भी जब जिले से बाहर रैली एवं कार्यक्रमों में लोगों को भेजा जाता है तो विधिवत उनको पहचान पत्र दिया जाता है। जिससे यदि वह किसी कारण वश बस में न चढ़ पाएं तो उनकी पहचान हो सके। किंतु जिला प्रशासन जिले से सतना ज्यादा से ज्यादा आदिवासियों को भेजने के चक्कर में यह सब भूल गया। यदि बस दुर्घटना न होती तो जिला प्रशासन व आम जनता को इस बात की भी जानकारी न हो पाती कि आदिवासियों के नाम पर अन्य वर्गों को भी ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक आदिवासी बनाकर बसों में सवार कर सतना भेज दिए थे। बस दुर्घटना के बाद आदिवासी महाकुंभ में शामिल होने गए लोगों में घायल लोगों एवं मृतकों की सूची में आदिवासियों के अतिरिक्त अन्य समाज के लोगों के भी नाम सामने आए हैं।

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