मध्यप्रदेश

नाले की लीज पर बनास नदी से उत्खनन व परिवहन हो रहा लाखो टन रेत,जंगल विभाग के मूकदर्शक होने पर उठ रहे सवाल।

नाले की लीज पर बनास नदी से उत्खनन व परिवहन हो रहा लाखो टन रेत,जंगल विभाग के मूकदर्शक होने पर उठ रहे सवाल।

खतरे में बनास नदी का अस्तित्व

संजय सिंह मझौली सीधी
सीधी जिला एवं शहडोल जिला की सीमा बनाती सदियों से बारहमासी अपने कलकल धारा से बहती बनास नदी वर्तमान समय में रेत माफियाओं के क्रूरता के कारण मानो अपने अस्तित्व से जूझ रही हो क्योंकि लाखों मेट्रिक टन रेत उत्खनन एवं परिवहन का कारोबार धड़ल्ले से विगत 3 वर्षों से लगातार हो रहा है जिसमें अन्य जिम्मेवार विभागों की तरह जंगल विभाग का मूक दर्शक होना कई सवाल पैदा करता है?

बोड्डिहा नाला के लीज में हो रहा कारोबार
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक वंशिका कान्ट्रक्शन के नाम पर शहडोल जिला के ब्योहारी तहसील अंतर्गत राजस्व ग्राम बोड्डिहा नाला के नाम पर रेत उत्खनन परिवहन की स्वीकृति दी गई है उसमें भी मानव आधारित उत्खनन व परिवहन किया जाना चाहिए जिसमें मशीनरी का उपयोग पूर्ण रूप से वर्जित किया गया है बावजूद इसके लीज धारक के द्वारा उपरोक्त नाला के बगल से बह रही बनास नदी से बड़ी बड़ी मशीनरी पोकलैंड एवं जेसीबी से रेत उत्खनन कर हाईवा ट्रकों से परिवहन किया जा रहा है। हद तो तब हो जाती है जब लीज धारक द्वारा शहडोल जिला के बजाय सीधी जिला के मझौली तहसील की सीमा क्षेत्र से रेत का उत्खनन परिवहन करा रहा है जिसमें प्रथम दृष्टया वन विभाग की जिम्मेवारी बनती है कि राजस्व की मदत से उसमें हस्तक्षेप कर खनिज माफिया पर ठोस कार्यवाही करे क्योंकि उत्खनन स्थल वन सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है लेकिन वन विभाग द्वारा कोई हस्तक्षेप ना किया जाना और मूकदर्शक की भूमिका में रहना कई सवाल पैदा करता है कि कहीं ना कहीं परोक्ष रूप से रेत कारोबार में वन विभाग के आला अधिकारियों का भी संरक्षण है।

सोन घड़ियाल के अस्तित्व पर खतरा
पर्यावरण के बारे में जानकारी रखने वाले पर्यावरणविदों की माने तो बनास नदी से मशीनरी द्वारा रेत उत्खनन एवं परिवहन का सीधा दुष्प्रभाव सोन घड़ियाल पर भी पड़ेगा जोकि दुर्लभ जल जीव घड़ियाल के लिए आरक्षित किया गया है। बताया गया कि घड़ियाल के आवास एवं प्रजनन के लिए पर्याप्त मात्रा में रेत होना चाहिए वह भी समतल आकार में लेकिन मशीनरी से रेत उत्खनन के कारण कहीं काफी गड्ढे तो कहीं बड़ी चटाने नदी बाहर दिखने लगी हैं और जैसे ही बरसात का पानी आता है तो जंगल का कचरा उन्ही गड्ढों में दब जाता है जिसमें सड़न होने पर घड़ियालों के सेहत पर उसका दुष्प्रभाव पड़ता है और उसी वजह से घड़ियाल रोग ग्रसित हो जाते हैं जिनमें प्रजनन क्षमता कम हो जाती है और असमय उनकी मौत भी हो जाती है।

सूख रही है नदी की धारा बड़े पैमाने पर रेत उत्खनन एवं परिवहन के कारण जो नदी चौड़ी जलधारा के साथ पूरे वर्ष भर निरंतर बहती रहती थी उसमें अब एक चौथाई भाग में ही उसकी धारा बह रही है अगर इसी तरह रेत का कारोबार चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब नदी की धारा ही समाप्त हो जाएगी तब नदी के आजू-बाजू आवाद लोगों के जीवन पर संकट छा जाएगा और घड़ियालों की कल्पना भी इतिहास बन कर रह जाएगी।

सीमा क्षेत्र का हवाला देकर कार्यवाही करने से बच रहे जिम्मेदार
गत वर्ष उपरोक्त सीमा क्षेत्र से रेत उत्खनन एवं परिवहन को लेकर मझौली तहसील के स्थानीय मीडिया द्वारा जानकारी संकलित कर समाचार प्रकाशित किए गए थे जिस पर कार्यवाही के बजाय जिम्मेदार अधिकारी सीमा क्षेत्र का हवाला देकर कार्यवाही करने से बचते नजर आए जहां संजय टाइगर रिजर्व द्वारा कहा गया कि उनका क्षेत्र नहीं है वहीं राजस्व विभाग द्वारा भी यही हवाला दिया गया जबकि वन विभाग सामान्य द्वारा भी यह कहकर कि उनका क्षेत्र नहीं है और पल्ला झाड़ लिया गया जबकि ऐसे गंभीर मामले में इन तीनों विभागों के द्वारा खनिज विभाग को भी साथ में लेकर संयुक्त रूप से जांच एवं कार्यवाही करनी चाहिए लेकिन ऐसा न करना जिम्मेदार विभागों के आला अधिकारियों के कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़ा करता है?।

नीलेश द्विवेदी रेंजर मझौली
मेरी जानकारी में यह बात नहीं थी अगर ऐसा किया जा रहा है तो इस पर तत्काल ठोस कार्यवाही की जायेगी।

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