मध्यप्रदेश

खबर प्रकाशन के बाद मशीनरी लेकर भागा रेत करोबारी,बनास नदी में 3 वर्षों से चल रहा था रेत का कारोबार।

खबर प्रकाशन के बाद मशीनरी लेकर भागा रेत करोबारी,बनास नदी में 3 वर्षों से चल रहा था रेत का कारोबार।

संजय सिंह मझौली सीधी
एक तरफ जहां रेत कारोबारी के हौसले इतने बुलंद हैं कि नाले में स्वीकृत लीज के नाम पर प्रतिबंधित क्षेत्र की बनास नदी से खुलेआम मशीनरी से रेत का उत्खनन एवं परिवहन किया जा रहा है जब शहडोल के साथ सीधी जिला के सीमा क्षेत्र से भी रेत का कारोबार धड़ल्ले से होने लगा तब मझौली तहसील क्षेत्र के पोल खोल पोस्ट के स्थानीय संवाददाता के द्वारा रेत उत्खनन को लेकर खबर प्रकाशन किया गया जिसका असर दिखा की रेत कारोबारी द्वारा खनन स्थल से अपना पूरा मशीनरी वाहन हटा लिए गए हैं इससे साफ जाहिर होता है कि जितना भी बनास नदी में रेत उत्खनन एवं परिवहन हुआ है वह पूर्ण रुप से अवैधानिक एवं अपराधिक है।

सूत्रों की माने तो शहडोल जिला के ब्योहारी तहसील क्षेत्र के बोड्डिहा नाला के नाम पर वंशिका कांट्रेक्शन के नाम से रेत की लीज स्वीकृत की गई है उसी लीज के नाम पर 3 वर्षों से बनास नदी से पोकलैंड एवं हाईवा मशीनरी से उत्खनन कर बड़े-बड़े हाईवा डंपर से रेत परिवहन का कारोबार धड़ल्ले से चलता रहा है जिसमें जिम्मेदार विभाग के आला अधिकारी मौन साधे हुए थे लेकिन जब मामले का खुलासा पोल खोल पोस्ट के साथ अन्य समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ तो जिम्मेदार विभागों के कान खड़े हुए और एक ही झटके में रेत कारोबार में इस तरह दखल किया गया कि पूरे मशीनरी वाहन को उत्खनन स्थल से नदारद कर दिया गया। इतना ही नहीं सीधी कलेक्टर द्वारा साफ तौर पर कहा गया है कि मामले की जांच कराई जाएगी और सीधी जिला के सीमा से जितने मात्रा में रेत उत्खनन एवं परिवहन किया गया है उसमें पाई पाई का हिसाब किया जाएगा और रेत कारोबारी से वसूली की जाएगी वहीं जिला सीधी के खनिज अधिकारी द्वारा भी साफ तौर पर कहा गया है कि अभी तक मामला उनके संज्ञान में नहीं था अब उनके द्वारा तहकीकात कराई जाएगी जरूरत पड़ेगी तो सीमांकन कराया जाएगा और पूर्ण रूप से वैधानिक कार्यवाही कराई जाएगी अगर सीधी जिला के सीमा से रेत उत्खनन सिद्ध होता है तो।

जिम्मेदार विभाग के नाम पर ठेका लेता था नटवरलाल
जन चर्चाओं की माने तो बनास नदी में हो रहे रेत कारोबार के मामले में चमराडोल अंचल का एक चर्चित नटवरलाल रेत कारोबारी से मोटी रकम लेकर जिम्मेदार विभाग के आला अधिकारियों को मैनेज करने का ठेका लेता था। लेकिन कुछ दिनों से उसे तवज्जो नहीं दी जा रही थी जिससे वह स्थानीय ग्रामीणों को रेत कारोबारी के खिलाफ भड़काने का काम भी करता था शायद यही कारण रहा कि रेत खनन को लेकर स्थानीय ग्रामीण भी विरोध शुरू कर दिए थे। जबकि वही नटवरलाल करमाई ग्राम के मार्बल खदानों में भी कमोबेश इसी तरह ठेका लेकर स्थानीय प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा करता रहा है जिसको लेकर गली चौराहों में लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं।

स्वीकृत लीज स्थल की जांच पर हो सकता है करोड़ों का घोटाला
जानकारों की माने तो जिस स्थल और खसरा नंबर के नाम पर लीज स्वीकृत की गई है उसकी जांच की जाय तो करोड़ों का घोटाला उजागर हो सकता है क्योंकि जितने मात्रा में रेत उत्खनन किया गया है और टी पी जारी की गई है क्या उतनी रेत उपरोक्त लीज स्थल से निकाली जा सकती है अगर ऐसा नहीं तो साफ जाहिर है कि वह रेत कारोबार बनास नदी से अवैध तरीके से किया गया है।

मामला और हो सकता है गंभीर
स्थानीय जानकारों की माने तो बनास नदी में जहां लगभग 1:50 किलोमीटर रेत उत्खनन व परिवहन किया गया है वह क्षेत्र संजय टाइगर रिजर्व के बफर एरिया के अंतर्गत आता है अगर जांच में यह साबित हुआ तो मामला और भी गंभीर हो जाएगा क्योंकि टाइगर रिजर्व का क्षेत्र अतिसंवेदनशील एवं विशेष प्रतिबंधित श्रेणी में आता है जिसके तहत वन एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत गंभीर अपराध माना जाएगा।

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