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भाजपा का मास्टर प्लान चुनाव जीतने और एंटी इनकम्बेंसी से निपटने के लिए

मप्र में संघ, संगठन और सरकार के सर्वे के बाद भाजपा आलाकमान ने एंटी इनकम्बेंसी से निपटने और चुनाव जीतने के लिए जो मास्टर प्लान बनाया है, उसके अनुसार इस बार टिकट वितरण में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की सिफारिशें नहीं चलेंगी। दरअसल, 2018 में मिली हार और 2020 के उपचुनाव में सिंधिया समर्थकों की हार के कारण आलाकमान ने यह निर्णय लिया है।

 

 

भाजपा सूत्रों का कहना है कि 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कहने पर टिकटों का बंटवारा हुआ था। शिवराज ने जिन लोगों की सिफारिश की थी, उनमें से 13 मंत्रियों सहित कई लोग चुनाव हार गए थे। इसलिए इस बार आलाकमान ने संघ को सर्वे से लेकर टिकट वितरण तक की जिम्मेदारी दी है।
जानकारी के अनुसार, आलाकमान ने जो फैसला लिया है, उसके अनुसार मप्र में अब भाजपा की नियति संघ के हाथ में है। पिछले कुछ दिनों से कार्यकर्ता की नाराजगी की खबरों को संघ ने अब गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है।

 

 

 

इस नाराजगी के अलावा नेताओं के गुटों में बंट चुकी भाजपा का मप्र में हाल-बेहाल है। इन हालातों को भांपकर संघ ने प्रदेश में पैरलल काम शुरू कर दिया है। जिसका असर उस वक्त दिखाई देगा जब पार्टी टिकट बांटने का काम शुरू करेगी। सूत्रों के अनुसार, हर बड़े नेता के दावों और गुट की काट बनने का जिम्मा अब खुद आलाकमान ने संभाल लिया है। जिनके विश्वासपात्र नेता हर जिले में डबल लेयर चर्चा कर रहे हैं। इस चर्चा का डर भाजपा हलकों में नजर भी आने लगा है। प्रदेश में भाजपा की बुरी स्थिति को भांपकर आलाकमान ने पहली बार इस तरह का सख्त कदम उठाया है।

 

 

जमकर चलेगी कैंची
भाजपा सूत्रों का कहना है कि आलाकमान ने प्रदेश के नेताओं को संदेश दे दिया है कि इस बार केवल जिताऊ नेताओं को ही टिकट दिया जाएगा। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि जिन विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी है और आखिरी सर्वे में उनकी स्थिति नहीं सुधरी तो उनका टिकट कटना तय है। गौरतलब है कि संघ के सर्वे में भाजपा के 54 विधायक जीतने के स्थिति में नहीं हैं। ऐसे विधायकों को न तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और न ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया टिकट दिला पाएंगे।

 

 

 

 

जामवाल की रिपोर्ट को ज्यादा तरजीह
अजय जामवाल बिना किसी लाव-लश्कर और बड़े नेताओं के हुजूम के बगैर हर जगह का दौरा कर रहे हैं। शुरुआत उस स्थान विशेष के मंदिर में दर्शन से होती है। उसके बाद बारी आती है डबल लेयर मीटिंग की। हर जगह वो कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के अलावा क्लोज डोर मीटिंग्स भी कर रहे हैं। पहली लेयर में कार्यकर्ताओं के साथ और दूसरी लेयर में पदाधिकारियों का साथ मीटिंग हो रही है। इन मीटिंग्स से पहले दीवारों के कान भी काट दिए गए हैं ताकि चर्चा की कोई बात बाहर न आ सके।

 

 

बस इतना सुनने में आ रहा है कि जामवाल कार्यकर्ताओं और जिला पदाधिकारियों को अपनी बात रखने का भरपूर मौका दे रहे हैं। उनके निशाने पर 3 नेता हैं शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा। जिनके बारे में सवाल पूछते हैं और आम कार्यकर्ता की राय जान रहे हैं। भाजपा के गलियारों में चर्चा है कि जामवाल की रिपोर्ट को हर सर्वे की रिपोर्ट से ज्यादा तरजीह दी जाएगी

 

 

 

नहीं चलेगी किसी की सिफारिश
संघ सूत्रों का कहना है कि 2018 में प्रदेश के नेताओं पर विश्वास कर भाजपा आलाकमान ने टिकटों का वितरण किया था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। मप्र में इस बार-बड़े नेताओं से करीबी कोई खास कमाल नहीं दिखाने वाली है। क्योंकि इस बार सत्ता की नहीं संघ की रिपोर्ट पर फाइनल फैसला होगा। जिसे तैयार करने के लिए संघ के सबसे विश्वासपात्र सिपहसालार क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने जिम्मेदारी संभाल ली है।

 

 

इनकी रिपोर्ट के आगे शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीडी शर्मा सरीखे दिग्गज नेताओं के दावे और सिफारिशें धरी रह जाएंगी। जामवाल के काम करने का तरीका अलग है। संगठन को मजबूत करने की अपनी शैली के साथ जामवाल मैदान में उतर चुके हैं, जिसकी वजह से भाजपा के दिग्गजों में भी खलबली मची हुई है। संगठन में कसावट लाने के लिए जाने जाते हैं अजय जामवाल।

 

 

 

इस बार जनता बनाम भाजपा चुनाव
नगरीय निकाय चुनाव के नतीजे देखते हुए आलाकमान और संघ दोनों को डर है कि आने वाला चुनाव जनता वर्सेज भाजपा ना हो जाए। एंटी इनकंबेंसी का फैक्टर जबरदस्त तरीके से नाराज हैं, जिसका शिकार खुद भाजपा का कार्यकर्ता भी है।

 

 

इसके अलावा भाजपा में अब कांग्रेस की तरह ही गुट पनपने लगे हैं। दिग्गजों की भीड़ में पार्टी का कॉमन कार्यकर्ता अलग-थलग पड़ गया है, जिसकी सुनवाई कहीं नहीं हो रही। ऐसे कार्यकर्ताओं को जब अपनी बात रखने का मौका मिला तो उन्होंने दिल खोलकर अपनी ही सरकार और संगठन की पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कुछ मोटी-मोटी बातें जो इस बैठक में निकल कर आईं वो इस तरह हैं।

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