सुपेला में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन,भागवत कथा के चौथे दिन मनाया भगवान श्रीराम,श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया।

सुपेला में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन,भागवत कथा के चौथे दिन मनाया भगवान श्रीराम,श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव मनाया।
सीधी सिहावल सुपेला,4 मई। ग्राम सुपेला में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन श्री नरसिंह चतुर्दशी के पावन संयोग होने से भगवान के विभिन्न अवतारों श्री नरसिंह,श्रीराम एवं श्री कृष्ण का जन्मोत्सव पूरी गरिमा एवं भक्ति भाव के साथ मनाया। इस मौके पर पूरा कथा परिसर भगवान श्री राम व श्रीकृष्ण के जयकारों तथा नंद के आनन्द भयो, जय कन्हैयालाल की जय से गूंजायमान हो उठा। कथा के दौरान सुप्रसिद्ध कथाकार देवी चित्रलेखा जी ने भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र व श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा जब-जब अत्याचार और अन्याय बढ़ता है, तब-तब प्रभु का अवतार होता है। प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा-कृष्ण के उदघोष करने लगे।
श्रद्धालु कृष्ण रंग में रंगे नजर आए। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव आनन्द और धूम-धाम से मनाया गया।
प्रसंग के दौरान श्रद्धालु नंदलाला प्रकट भये आज, बिरज में लड़ुआ बंटे…, नन्द के घर आनन्द भयो, जय कन्हैया लाल…, आना आना रे आना नंदलाल आज हमारे आंगन में जैसे भजनों पर झूमते रहे, नन्द और यशोदा के लाला की जय के उद्घोष कथा पांडाल में गूंजते रहे।
भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास ने बताया श्रीमद् भागवत कथा में लिखें मंत्र और श्लोक केवल भगवान की आराधना और उनके चरित्र का वर्णन ही नहीं है। श्रीमद्भागवत की कथा में वह सारे तत्व हैं जिनके माध्यम से जीव अपना तो कल्याण कर ही सकता है साथ में अपने से जुड़े हुए अन्य लोगों का भी कल्याण कर सकता है। जीवन में व्यक्ति को अवश्य ही भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। आगे बताया कि बिना आमंत्रण के भी अगर कहीं भागवत कथा हो रही है तो वहां अवश्य जाना चाहिए। इससे जीव का कल्याण ही होता है।
संगीतमय भागवत कथा में कथाकार ने
संतो के संबंध में कहा है कि संत का परिचय संत का भेष नहीं होता है। उनका तो मुख्य भेष उनका गुण होता है।
कथा की शुरूआत बलि-वामन प्रसंग से हुई। कथावाचक ने प्रभु भक्ति की महिमा बताते हुए कहा भगवान विष्णु राजा बलि को वामन अवतार में छलने आते हैं। वे राजा बलि से तीन पग जितनी भूमि मांग लेते हैं। राजा बलि के गुरू उनका साक्षात्कार ईश्वर से कराते हुए उन्हें संकल्प लेने से रोकते हैं। राजा बलि के आग्रह पर जब भगवान विष्णु वामन अवतार से अपने विराट स्वरूप में आकर दो ही पैर में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को माप लेते हैं।
राजा की परीक्षा लेते हुए पूछते हैं कि तीसरा पैर कहां रखूं अन्यथा नरक भेज दूं। राजा बलि ने अपने संकल्प की रक्षा करते हुए प्रभु भक्ति में भगवान से अपना तीसरा पैर उनके सिर पर रख उन्हें भक्त रूप में स्वीकार करने को कहा। राजा बलि के भक्त प्रेम के आगे स्वयं भगवान हार गए और राजा बलि के महल का द्वारपाल बन उन्हें स्वीकारा। बलि-वामन प्रसंग की संगीतमय प्रस्तुति से श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
कथा व्यास ने प्रभु के परम भक्त सूरदास बाबा पर प्रकाश डालते हुए उनके पदों का गायन किया जिससे सभी की आंखें नम हो गई।
देवी चित्रलेखा जी ने कहा कि पूर्व मंत्री स्वर्गीय श्री इंद्रजीत कुमार जी ने सामान्य कृषक परिवार में जन्म लेकर ऊंचाइयों को छुआ तथा सेवा संकल्प के द्वारा जीवन पर्यंत मानव सेवा की जो अनुकरणीय है,उसी सेवा व्रत को विधायक एवं क्षेत्रीय विधायक एवं पूर्व मंत्री श्री कमलेश्वर पटेल जी पूरी विनम्रता एवं विनय शीलता के द्वारा निभा रहे हैं।
ठाकुर जी से जोड़ो संबधों की डोरी—
भक्त और भगवान के सबंधो को बताते हुए उन्होंने बताया कि हम जीवन भर किसी न किसी संबधों की डोरी से बंधे हुए रहते हैं, लेकिन यदि भगवान से निकट आना है तो संबधो की डोरी ठाकुर जी के साथ जोड़नी पड़ेगी। उनसे कोई रिश्ता जोड़ लो। जहां जीवन में कमी है, वहीं ठाकुर जी को बैठा दो। वे जरूर उस संबंध को निभाएंगे। कथा के मुख्य यजमान माताजी श्री ध्यानवती देवी श्री ललित नारायण पटेल एवं श्रीमती समुद्री देवी पटेल सहित परिजनों ने विधिवित आरती व पूजन के साथ कथा के चौथे दिन का समापन हुआ।
आज की कथा में विशेष रुप से सांसद राज्यसभा श्री अजय प्रताप सिंह,विधायक रैगांव श्रीमती कल्पना वर्मा, पुलिस अधीक्षक,सीधी डॉ रविंद्र वर्मा,पूर्व मंत्री श्री कमलेश्वर द्विवेदी,पूर्व विधायक श्रीमती सरस्वती सिंह पूर्व अध्यक्ष,मध्यप्रदेश खनिज निगम श्री बी पी सिंह, अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी शहर सिंगरौली श्री अरविंद सिंह चंदेल, अध्यक्ष ,जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण श्री ज्ञानेंद्र द्विवेदी पूर्व अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी सीधी श्री चिंतामणि तिवारी सहित अन्य महानुभावों ने कथा का श्रवण किया।