ये कहानी मुझे एचआईवी है….मगर ये क्या होता है, मुझे कैसे हुआ… नहीं पता।

मुझे एचआईवी है….मगर ये क्या होता है, मुझे कैसे हुआ… नहीं पता।
एचआईवी पॉजिटिव व प्रभावित बालिकाओं की पीड़ा।
पोल खोल सीधी:- ये कहानी किसी एक प्रिया या सप्रिया की ही नहीं बल्कि जिले में रह रहे अनेक एचआईवी पॉजिटिव बालक बालिकाओं की है इनमें से ज्यादातर बच्चों को एचआईवी संक्रमण उनके माता-पिता से जन्म के साथ ही मिला बीमारी क्या है कैसे फैलती है कैसे बचाव होता है इन अवोध बालकों को पता ही नहीं है लेकिन इस बीमारी के कारण उन्होंने हर कदम पर भेदभाव को झेला है कभी अपने ही घर में तो कभी स्कूल में एडमिशन के दौरान ही हालांकि ये बच्चे अपने घरों में रह रहे हैं। घर के सभी परिजन इन्हीं बच्चों के साथ मे रह रहे है। घरो मे बच्चों के साथ न कोई भेदभाव होता है और न ही कोई अलग समझता है।
हर कमरे मे बच्चों के साथ मदर :-
बालिकाओं को घर और मां की कमी महसूस न हो इसके लिए हर कमरे में लड़कियों के साथ माता- पिता साथ मे रहते हैं। लोगों मे एचआईवी के प्रति जागरूकता नहीं है। यह बीमारी छूने से नहीं फैलती फिर भी लोग इसे छुआछूत की बीमारी समझते हैं। लोगों मे एचआईवी के प्रति जागरुकता बढ़ाई जानी चाहिए ताकि एचआईवी पीड़ित और प्रभावितों के साथ भेदभाव न हो।
कोरोना मे बढ़ी थी मुश्किलें:-
कोरोना के दौरान मुश्किलें बढ़ गई थी एचआईवी के कारण बच्चों की इम्युनिटी पहले ही कम होती है। ऐसे मे घर के भीतर रहने वाले सभी लोगों का बाहरी लोगों से संपर्क काटना पड़ा। बच्चे दो साल से अपने घर मे ही रह गए थे।
नौकरानी ने दिया सहारा, मिला था दुलार:-
एचआईवी के खिलाफ संघर्ष कर रही प्रिया परिवर्तित नाम बताती है कि मम्मी पापा बाहर चले गए थे मेरी तबीयत बिगड़ने पर हमारे घर मे काम करने वाली बाई चैकअप कराई तो पता चला कि मुझे एचआईवी हो गया है। मेरे घर मे काम करने वाली बाई हमे माता-पिता की दूरी का एहसास नहीं होने दिया। वे हमे अपने बच्चों की तरह दुलार देती रही हैं।
नहीं होने देते घर की कमी महसूस:-
मेरा नाम सुप्रिया परिवर्तित नाम है और मै 10 वर्ष की हूं मेरे मम्मी पापा को एचआईवी हैं दोनो गांव में रहते है और बहुत बीमार रहते है। इसीलिए उन्होंने मुझे और मेरे भाई को सीधी भेजा। बड़ा भाई सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते है। और यहां सीधी मे किराए के कमरे मे रहती हूं। मम्मी पापा की याद तो आती है लेकिन यहां पड़ोस की अंटी बहुत अच्छी है। पड़ोस की अंटी हमे मां की तरह ध्यान रखती है।
कर दिए खाने के बर्तन अलग:-
मेरा नाम प्रिया परिवर्तित नाम है। मेरी उम्र 11वर्ष है और मुझे एचआईवी है। एचआईवी क्या होता है,यह बीमारी मुझे कैसे हुई मुझे नहीं पता यह बीमारी मुझे और मेरी दोनो बड़ी बहनो को ही क्यों हुई यह भी मुझे नहीं पता। बस इतना पता है कि इस बीमारी का पता चलने के बाद ताऊ ताई ने उनके खाने के बर्तन अलग कर दिए और कहा कि तुम लोग अलग रहा करो तुम्हें एचआईवी है।