मध्यप्रदेश

भागवत कथा पापों का हरण करती है,सुपेला में श्रीमद् भागवत गीता का छठवां दिन।

भागवत कथा पापों का हरण करती है,सुपेला में श्रीमद् भागवत गीता का छठवां दिन।

सीधी जिले के ग्राम सुपेला में क्षेत्रीय विधायक एवं पूर्व मंत्री  कमलेश्वर पटेल के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन की कथा प्रारंभ करते हुए प्रसिद्ध कथा वाचक देवी चित्रलेखा जी ने भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मणि के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया।
उन्होंने आगे बताया की
समाज की मानसिकता ने ही गोपियों को मज़बूर किया की वो अब एक राक्षस की कैद से बहार आने के बाद वापस घर न जाए। समाज की नज़रों में वो कलंकित थी ।


आगे उन्होंने कहा कि भक्ति वह देदीप्यमान सूर्य की तरह है।
जिस प्रकार सूर्य के किंचित उदय होने पर रात्रि का अन्धकार दूर हो जाता है, उसी प्रकार कृष्ण-नाम का थोड़ा-सा भी प्राकट्य अज्ञान के सारे अन्धकार को, जो विगत जन्मों में सम्पन्न बड़े-बड़े पापों के कारण हृदय में उत्पन्न होता है, दूर भगा सकता है। ”
देवी चित्रलेखाजी ने बताया कि भगवान् के दवारा की गयी लीलाओं का श्रवण कराते हुए बताया कि ब्रज में की गयी भगवान की लीला स्वयं नारायण भी नहीं कर सकते।


इन लीलाओं के द्वारा भक्तो को रिझाना सिर्फ भगवान् कृष्ण ही कर सकते हैं,वृन्दावन भगवान् का घर हुआ इसलिए प्रभु ने सब लीलाओं को एक साधारण बालक की तरह किया। और इस नन्हे से बालक ने अपनी मनमोहक लीलाओं के द्वारा गोपियों का मन ऐसा मोहा के गोपियों को अब न भोजन की सुध रहती है न अपने परिवार की और न ही किसी काम धाम की। गोपियाँ दिन रात कन्हैया का दर्शन करने को लालयत रहती हैं और मैया यशोदा के घर किसी न किसी बहाने के साथ जा के गोविन्द का दर्शन करतीं।


देवीजी ने कथा विषय में आगे बरुण लोक से नन्द बाबा को छुड़ाकर लाने की कथा, और अन्य कथाओ का श्रवण कराते हुए रास लीला का कथा का वर्णन श्रवण कराया की जब भगवान् ने वंशी बजा के गोपियों को अर्धरात्रि में में निमंत्रण दिया । और सभी गोपियाँ अपना घर बार छोड़कर भगवान् के समीप पधारी। भगवान् ने सभी गोपियों की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए उन्हें घर जाने को कहा मगर गोपियाँ ने भगवान् से ही प्रश्न किया कि संसार प्रभु प्राप्ति के लिए लाखों प्रयत्न करता है और फिर प्रभु की शरण में आता है।
मगर हम जब आपको प्राप्त कर ही चुके है तो आप हमें दोवारा संसार सागर में जाने को क्यों कहते हो ?


गोपियों की बात मान कर प्रभु ने गोपियों के भीतर दंश मात्र अभिमान को मिटाने के लिए लीला की और प्रभु के अदृश्य हो जाने के कारण गोपियों ने प्रभु को मनाने के लिए अथक प्रयास किया परंतु प्रभु नहीं आये तब विरह जब सीमा से अधिक हो गया, करोड़ों गोपियों ने एक साथ गोपी गीत गाया। प्रभु प्रगट हुए और प्रभु के एक स्वरुप के साथ दो गोपियों ने महारस किया।
इसके पश्चात प्रभु के मथुरा गमन की कथा, प्रभु की शिक्षा, उद्धव संवाद, मामा कंस वध आदि कथा का श्रवण करा कर भगवान् कृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह की कथा कही।
आज की कथा श्रवण कर कथा आरती में भाग लिया इसमें प्रमुख रूप से पूर्व नेता प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह राहुल भैया, अध्यक्ष,जिला पंचायत सीधी श्रीमती मंजू राम सिंह, अध्यक्ष,जिला पंचायत सिंगरौली सुश्री सोनम सिंह, अध्यक्ष नगरपालिका परिषद सीधी श्रीमती काजल वर्मा, अध्यक्ष,नगर पालिका परिषद शहडोल श्री घनश्याम जायसवाल,अध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी सीधी श्री ज्ञान प्रताप सिंह,अध्यक्ष,जिला कांग्रेस कमेटी सिंगरौली ग्रामीण श्री ज्ञानेंद्र द्विवेदी, अध्यक्ष जनपद पंचायत कुसमी श्रीमती श्यामवती सिंह सहित अनेकों महानुभाव शामिल थे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तगण उपस्थित थे।
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