मध्यप्रदेश
सियासत इन-दिनों,जिले में कांग्रेस की डूबती नैया को बचाने आज दिग्विजय देंगे मंत्र,कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री के मझौली दौरे पर है सबकी नजर।

सियासत इन-दिनों,जिले में कांग्रेस की डूबती नैया को बचाने आज दिग्विजय देंगे मंत्र,कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री के मझौली दौरे पर है सबकी नजर।
पोल खोल सीधी: विंध्य क्षेत्र खासकर सीधी जिला ऐसा क्षेत्र हैं जहां पूर्व मुख्यमंत्री एवं केन्द्रीय मंत्री स्व. अर्जुन सिंह ने इस जिले में कई ऐतिहासिक काम किए थे। उनके निधन के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भी अपने स्तर से विकास को लेकर काम कर रहे हैं। अर्जुन सिंह के निधन के बाद राजनीतिक सरगर्मियां कमजोर हो गई थीं। कही न कहीं कांग्रेस में आपसी गुटबाजी सामने आ रही है लेकिन क्या अब गुटबाजी खत्म होगी। अब सीधी जिले में डूबती नैया को बचाने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भ्रमण चालू हो गया है।
विदित है कि विंध्य क्षेत्र ऐसा क्षेत्र हैं जहां भाजपा की तूती नहीं बोलती थी यहां कांग्रेश की एकतरफा जीत होती थी लेकिन बीते कई पंचवर्षीय से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को विंध्य क्षेत्र में काफी हार का सामना करना पड़ा है। यहां तक कि बड़े नेता भी हार गए हैं।
पर अब स्थितियां बदलती नजर आ रही हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी विंध्य क्षेत्र में लगातार दौरा हो रहा है वो आज 12 मई को मझौली में कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल होंगे। माना जा रहा है कि उनका ये अभियान कांग्रेसियों को एकजुट करने सहित भाजपा सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने एवं इस क्षेत्र में भाजपा सरकार के नाकामी को लेकर वातावरण निर्माण को है।
उनके इस कार्यक्रम में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल एवं पूर्व मंत्री तथा सिहावल विधायक कमलेश्वर पटेल भी बराबर मौजूद रहेंगे। बड़े नेताओं का यह बड़ा सम्मेलन कही न कहीं बड़ा मायने रखता है। निश्चित रूप से यह कार्यक्रम कांग्रेस को संबल प्रदान करेगा।
टिकट वितरण को लेकर अभी भी बनी है असमंजस की स्थिति
सीधी जिले में टिकट वितरण को लेकर दो विधानसभा चुरहट एवं सिहावल में तो तय माना जा रहा है कि किसे कांग्रेस पार्टी टिकट देगी लेकिन दो ऐसे विधानसभा क्षेत्र सीधी एवं धौहनी हैं जहां टिकट वितरण को लेकर कांग्रेस नेताओं में अभी असमंजस बना हुआ है। सीधी एवं धौहनी विधानसभा में कांग्रेस की हालत काफी कमजोर है।
दो गुटों में बटी धौहनी कांग्रेस को कैसे एकजुट कर पाएंगे दिग्गी
एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी के प्रदेश संगठन की निगाह सीधी जिले की धौहनी विधानसभा में लगी है जिसे आगामी विधानसभा चुनाव में जीत के लिए रणनीति बनाई जा रही है उसी के तहत पार्टी के कद्दावर नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को धौहनी विधानसभा के तहसील मुख्यालय मझौली में कार्यक्रम आयोजित कर जीत का मंत्र देने उन्हें उतारा जा रहा है लेकिन लगातार तीन बार इस विधानसभा से पराजित होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी के लिए ऐसी स्थित नहीं बन पा रही है जिससे कहा जा सके कि इस बार कांग्रेस को जीत मिल सकती है। अब देखना दिलचस्प होगा कि दो गुटों में बटी धौहनी कांग्रेस को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह कैसे एकजुट कर पार्टी को विजय दिला पाएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो धौहनी विधानसभा में ना तो प्रदेश सरकार के विकास मॉडल और ना ही क्षेत्रीय विधायक की लोकप्रियता से विजय श्री मिलती है बल्कि कांग्रेस के अंतरकलह एवं दो कांग्रेसी नेताओं की गुटबाजी भाजपा के लिए जीत की मुख्य वजह बनती आ रही है।
दो कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी से चुनाव में नहीं मिल पाती जीत
लोगों की माने तो विधानसभा क्षेत्र धौहनी के खंड मुख्यालय मझौली से 2 कांग्रेसी नेता जिनमें एक तहसील मुख्यालय से पूर्व दिशा में जबकि दूसरे नेता तहसील मुख्यालय से उत्तर दिशा में स्थापित हैं जहां उनका जनाधार भी है ऐसे में विगत 3 विधानसभा चुनाव में नजर दौड़ाई जाए तो दोनों नेता अपने अपने प्रत्याशी के लिए टिकट दिलाने का प्रयास करते हैं, ऐसे में स्वाभाविक है कि एक व्यक्ति को ही टिकट मिलेगा और जब एक नेता के प्रस्तावित प्रत्याशी को टिकट मिल जाता है तो दूसरा नेता उसे हराने के लिए और भाजपा को जिताने के लिए ठेका ही ले लेता है। बाकी समय अपने अपने नेता अजय सिंह राहुल एवं कमलेश्वर पटेल के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते नजर आते हैं और अपनी-अपनी सफाई भी देते हैं लेकिन कांग्रेस पार्टी की पराजय के कारण दो नेताओं की आपसी गुटबाजी ही मानी जा रही है।
वैसे भी देखा जाए तो इस रिजर्व सीट पर किसी भी रिजर्व कोटे से आने वाले कांग्रेसी नेता का अपना व्यक्तिगत कोई प्रबल राजनीतिक स्वतंत्र अस्तित्व नहीं है बल्कि वह कांग्रेश के सवर्ण नेताओं के समर्थक हैं।
क्या विकल्प पर हो सकती है चर्चा ?
दिग्विजय सिंह के कार्यक्रम को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा कयास लगाए जा रहे हैं कि जब आमजन में कांग्रेस की पराजय को लेकर ऐसी चर्चाएं हो रही हैं तो संगठन में भी इस बात पर चर्चा हो सकती है और ऐसी स्थिति से निपटने के लिए दोनों कांग्रेसी नेताओं के दावेदारों से इतर अन्य दावेदार को पार्टी अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो काफी हद तक कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी की जीतने की संभावना बढ़ सकती है।