मध्यप्रदेश

स्वयं का मकान बना शासकीय मकानों में जमे हैं कर्मचारी,किराए के मकान में रहते हैं बाहर के कर्मचारी। 

स्वयं का मकान बना शासकीय मकानों में जमे हैं कर्मचारी,किराए के मकान में रहते हैं बाहर के कर्मचारी। 
स्थानांतरण व सेवानिवृत्ति के बाद भी शासकीय आवासों पर जमाए हैं कब्जा। 
सीधी: जिला मुख्यालय में पदस्थ शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी शहर में अपना मकान बना लेने के बाद भी शासकीय आवास का मोह नहीं छोंड़ रहे हैं। अपना स्वयं का मकान किराये में देकर शासकीय आवासों पर कब्जा जमाये हुये हैं। यही नहीं जिन अधिकारी एवं कर्मचारियों का वर्षो पूर्व स्थानांतण हो गया है और जो सेवानिवृत्त हो गये हैं वो अपना शासकीय आवास खाली नहीं कर रहे हैं।
बताते चलें कि जिला मुख्यालय में लोक निर्माण विभाग एवं अन्य मदों से निर्मित सरकारी भवनों में ऐसे अधिकारी कर्मचारी अपना डेरा जमाए हुए हैं, जबकि इनको शासकीय आवास की पात्रता ही नहीं हैं। यही नहीं कई ऐसे शासकीय आवास है जिसका आवंटन किसी और के नाम है और रहता कोई और हैं। यहां के शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी अपने नाम से शासकीय आवास का आवंटन करा कर उसको अपने नात-रिस्तेदारों को रहने के लिए दे दिए हैं कलेक्ट्रेट परिसर में भवन आवंटन शाखा के जिम्मेदार लोगों द्वारा इन्हें खुली छूट दे दी गई है। जिसके चलते यह मकान नहीं खाली कर रहे हैं। जिले में 1 दर्जन से अधिक ऐसे शासकीय अधिकारी कर्मचारी हैं जो रहते तो सरकारी मकान में है लेकिन उनका खुद का मकान भी नगर पालिका क्षेत्र के अन्तर्गत बना हुआ हैं और जो अधिकारी एवं कर्मचारी अन्य जिलों से आ कर यहां अपनी सेवाएं दे रहे है उनको शासकीय आवास नही मिल रहा है। वो मजबूरन किराये के मकान में रहते हैं। यहां तक की कई ऐसे शासकीय भवन भी है जो कि वर्तमान समय पर काफी जर्जर हालत में पहुंच गए हैं। इसके बाद भी शासकीय कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डाल कर रह रहें हैं। कलेक्ट्रेट आवास शाखा से शासकीय मकान आवंटन की जो सूची तैयार की गई है उसमें जो अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि 15 वर्षों पूर्व सीधी छोड़ कर चले गये हैं उनके नाम अभी भी शासकीय आवास आवंटित हैं। इतना ही नहीं जो शासकीय कर्मचारी जिले से दूसरे जिले में चले गए हैं उनका नाम भी शासकीय आवास के आवंटन से नहीं हटाया गया है। वो आवास भी वर्तमान समय पर आवास साखा में भरे हुए हैं और उन आवास में अवैध रूप से अन्य लोग आराम से रह रहे हैं। यही नहीं जिले में ऐसे कई सरकारी मकान हैं जिनकी स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है। बावजूद इसके यह कर्मचारी सरकारी मकान छोडऩे को तैयार नहीं है। जिले में लोक निर्माण विभाग के 40 सहित कुल 217 मकान है। वर्तमान में एक भी मकान रिक्त नहीं है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जी टाइप के 16, आई टाइप के 73, एस टाइप के 56 एवं एफ  टाइप के 72 मकान है जिसमें सभी मकान भरे हुए हैं जबकि इन मकानों की पड़ताल कराई जाए तो आधे से अधिक मकान अवैध कब्जाधारियों से मुक्त हो सकते हैं। कलेक्ट्रेट स्थित आवास शाखा के लिपिको के द्वारा ऐसे आवासों को जिनका स्थानांतरण हो चुका है या फिर दूसरा अन्य आवास आवंटित कर दिया है ऐसे आवासों को स्वयं अपने स्तर से शासकीय कर्मचारी के नाम आवास का आवंटन कर देते हैं।

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