बस्ता जमा कर शुरू किया हड़ताल जिले के पटवारियों ने

पटवारियों के निलंबन को बहाल कराने की मांग पर अड़े पटवारी
सीमांकन कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए देवसर, सिंगरौली एवं माड़ा के उपखण्ड अधिकारियों ने अब तक 15 पटवारियों को निलंबित कर चुके हैं। पटवारी संघ ने इस निलंबन की कार्रवाई के खिलाफ बिगुल बजा दिया है। आज मंगलवार को जिलेभर के सैकड़ों पटवारियों ने तहसील कार्यालय में बस्ता जमा बेमियादी हड़ताल पर चले गये हैं। हालांकि जिन पंचायतों में चुनाव हैं वहां के पटवारी केवल चुनावी कामकाज ही करेंगे।
दरअसल उपखण्ड अधिकारियों ने लंबित सीमांकन कार्यों की समीक्षा किया जिसमें छ: माह अवधि के पूर्व लंबित सीमांकन कार्य पूर्ण न होने पर देवसर के प्रभारी एसडीएम माइकल तिर्की सहित सिंगरौली एवं माड़ा एसडीएम ने 15 पटवारियों को निलंबित कर चुके हैं। पटवारियों के इस निलंबन को पटवारी संघ के जिलाध्यक्ष प्रभाकर सिंह चौहान ने अनैतिक कार्रवाई बताते हुए घोर निंदा करते हुए कहा है कि उक्त कार्रवाई पक्षपात पूर्ण एवं अपनी स्वयं की पीठ थपथपाने के लिए कही जा रही है।
असली कार्रवाई लापरवाह राजस्व निरीक्षकों पर की जानी चाहिए। उन्होंने उक्त कर्रवाई को लेकर संबंधित उपखण्ड अधिकारियों पर भी सवाल खड़ा किया है। उन्होंने बताया कि आज मंगलवार से जिले भर के पटवारी बेमियादी हड़ताल पर चले गये हैं। जब तक पटवारियों के निलंबन वापस नहीं होगा तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी। साथ ही 2800 ग्रेड पे की मांग पर भी म.प्र.पटवारी संघ अडिग है और सीमांकन कार्य का भी बहिष्कार जारी रखेगा। आज मंगलवार से पंचायत के चुनावी कार्य को छोड़कर शेष पटवारी समस्त कार्य बंद कर हड़ताल पर चले गये हैं। वहीं 25 मई के बाद से प्रदेश भर के पटवारी इन्हीं मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर रहेंगे।
छ: माह के लंबित सीमांकन के प्रकरणों की संख्या
तहसील सिंगरौली ग्रामीण में 95, तहसील सरई में 115, देवसर में 81, चितरंगी 98, माड़ा 204 सहित जिलेभर के तहसील क्षेत्रों में तकरीबन 590 से अधिक छ: माह अवधि पूर्व के सीमांकन कार्य लंबित हैं।
पटवारी संघ का आरोप है कि सीमांकन कार्य में सहभागिता के लिए पटवारियों को दिसम्बर महीने में जिम्मेदारी सौंपी गयी। जबकि सीमांकन कार्य दिसम्बर महीने के पूर्व के लंबित हैं और दिसम्बर महीने के पूर्व भूमियों के सीमांकन करने का अधिकार केवल राजस्व निरीक्षकों के पास था। फिर पटवारी दोषी कैसे हैं। कोई भी उपखण्ड अधिकारी राजस्व निरीक्षकों पर कार्रवाई करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पाते। केवल पटवारियों को ही दोषी मानकर कार्रवाई करते हैं यह तरीका गलत है।