मध्यप्रदेश

थैलीसीमिया पीड़ित मासूम बच्चे की मौत,उपचार के लिए रीवा ले जाते समय रास्ते में हुई मौत,बच्चे का शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे माता-पिता।

थैलीसीमिया पीड़ित मासूम बच्चे की मौत,उपचार के लिए रीवा ले जाते समय रास्ते में हुई मौत,बच्चे का शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे माता-पिता।

सीधी। जिले के कमर्जी थानांतर्गत तरिहा निवासी मनीष सेन के डेढ़ वर्षीय बच्चे राज की मंगलवार को रीवा उपचार के लिए ले जाते समय मौत हो गई। बच्चा थैलीसीमिया नामक बीमारी से पीडि़त था। जिला अस्पताल में पिछले दस दिनों से उसका उपचार चल रहा था। हालत गंभीर होने मंगलवार की सुबह चिकित्सकों द्वारा उसे रीवा के लिए रेफर किया गया, लेकिन रीवा ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। उम्मीद बांधे माता-पिता जीएमएच रीवा लेकर पहुंचे तो चिकित्सकों ने परीक्षण कर मृत घोषित कर दिया।
वहां से बच्चे का शव लाकर माता-पिता विलखते हुए कलेक्ट्रेट पहुंच गए। कलेक्टर साकेत मालवीय से फरियाद किया कि बच्चे राज को जिला अस्पताल में समुचित उपचार नहीं मिला। हम लोग कहते रहे कि यदि स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा है तो रेफर कर दीजिये, लेकिन चिकित्सक आश्वासन देते रहे कि सुधार हो रहा है। अंतिम समय में बच्चे को रेफर किया गया,लेकिन उसे रीवा तक लेकर नहीं पहुंच पाए। पीडि़त माता-पिता ने चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। लेकिन कलेक्टर साकेत मालवीय ने उन्हें समझाया कि बच्चे के उपचार को लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं हुई है। कोई नहीं चाहता कि उपचार के अभाव में किसी की मौत हो। कलेक्टर की समझाइस पर परिजन मान गए और शाम करीब 6 बजे मासूम बच्चे का शव लेकर गृह ग्राम के लिए रवाना हुए।

पत्नी और बड़ा बेटा भी है थैलीसीमिया से ग्रसित:-
मनीष सेन ने बताया कि थैलीसीमिया से मेरी पत्नी शशि (24) और बड़ा बेटा कान्हा (3) भी ग्रसित है। छोटा बेटे राज की इसी बीमारी से मौत हो चुकी है। पत्नी सहित बच्चों को लगातार रक्त चढ़वाना पड़ता है। बीमारी का इलाज इतना महंगा है कि सामान्य परिवार के आदमी के बस में नहीं है। छोटे बच्चे की मौत के बाद अब पत्नी और बड़े बेटे के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ गई है।

कलेक्ट्रेट में घंटे भर विलखते रहे माता-पिता:-
रीवा से लौटने के बाद मनीष सेन अपनी पत्नी सहित अन्य परिजनों के साथ मृत बेटे का शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गया। जब वह पहुंचा तो कलेक्टर मीटिंग में थे। वह उनसे मिलकर ही वापस जाना चाह रहा था। कलेक्टर के मीटिंग से खाली होने में करीब एक घंटे का समय लग गया, तब तक मनीष अपने मासूम बच्चे राज का शव गोद में लिए कलेक्ट्रेट परिसर में विलखता रहा।

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