मध्यप्रदेश

सिहावल विधानसभा की भाजपा सीट अपनों से घिरी,कमल से एक दर्जन नेता कर रहे दावेदारी,पार्टी को कम स्वयं को ज्यादा कर रहे मजबूती से पेश।

सिहावल विधानसभा की भाजपा सीट अपनों से घिरी,कमल से एक दर्जन नेता कर रहे दावेदारी,पार्टी को कम स्वयं को ज्यादा कर रहे मजबूती से पेश।

 सीधी:- आखिरी साल के कुछ महीनो में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर दावेदारों की भीड़ उमड़ने लगी है, इस बार सीधी जिले में सबसे ज्यादा सिहावल विधानसभा से भाजपा नेताओं की कतार देखने को मिल रही है। यहां कई ऐसे चेहरे गत माहों से देखने को मिल रहे है कि जिनका न तो जनाधार है न खुद की कोई पहचान है। लेकिन पैसे के बलबूते ये सिहावल विधानसभा की जनता को गुमराह करने में उतर पड़े है। हालात यह है कि जीवन का सारा समय सिंगरौली जिले मे कारोबार के नाम पर व्यतीत कर अच्छा खासा पैसा तो अर्जित कर लिए है लेकिन सिहावल की जनता के बीच कभी दु:ख-सुख में शामिल नही रहे और अब सीधे विधानसभा की दावेदारी पेश करने लगे है। हलाकि कुछ ऐसे भी चेहरे है जिनका नाम पार्टी संगठन में भी दावेदारों की सूची में शुमार है। हैरानी की बात यह है कि सिहावल विधानसभा बीते दस वर्षो से कांग्रेस के कब्जे में है यही नही कांग्रेस के जो नेता यहां से चयनित होकर गए है उनकी पकड़ आमजन एवं मतदाताओं के बीच अमरबेल की तरह बनी हुई है ऐसे में भाजपा के नेता आपसी सामंजस्य को भूलकर अपनी पहचान बनाकर जनता के बीच पहुंच रहे है जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि कांग्रेस की यह पकड़ को कमजोर करना इन नेताओं की बस की बात नही है।
कम्बल और कलेंडर बांट रहे पांडेय जी :-
सिंगरौली में कारोबार संचालित कर मोटी रकम ऐंठने वाले पाण्डेय जी इन दिनो सिहावल विधानसभा की जनता के बीच कुछ ज्यादा ही उदारता दिखा रहे है,ठंड के दिनो में जहां इन्होने आदिवासी परिवार के लोगों को कम्बल वितरण कर सहानुभुति बटोरने का प्रयास किया था तो वहीं अपनी पहचान घर-घर बनाने के लिए फोटोयुक्त कलेंडर व झोला भी थमा दिए है। हलाकि सिहावल विधानसभा की जनता इन्हे पूरी तरह से पहचानती भी नही है बावजूद इनके पैसे के बलबूते यह भाजपा के मोनो पर लोगों की लोकप्रियता हांसिल करने मे तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे है।

फंसी दो पाठकों के बीच सिहावल सीट:-
जिले की बहुचर्चित विधानसभा सीट सिहावल में दावेदारों की संख्या भले ही दर्जनों देखी जा रही है लेकिन भाजपा संगठन व उससे जुड़े लोगों की माने तो यह सीट दो पाठकों के बीच फंसी हुई है। यही वजह है कि सिहावल की जनता भी यह नही तय कर पा रही कि किस पाठक के साथ जाना है। हलाकि भाजपा संगठन आधारित दल माना जाता है ऐसे में समझौते की राजनीति में किस पाठक का मुंह बंद होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सिहावल की जनता दो पाठकों के बीच पिस रही है।
तो क्या रामजी करेंगे भाजपा का बेड़ा पार:-
एक वर्ष पूर्व तक जिले के चर्चित व्यवसाईयों की सूची में शुमार एक ऐसे नाम ने गत वर्ष त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अपना राजनीतिक भविष्य टटोलने का प्रयास किया था जहां उनहे उम्मीद से ज्यादा सफलता हांथ लगी तो वह अब विधानसभा की बेड़ा पार करने की होड़ में जुट गए है। हम जिनके बारे में कहना चाह रहे है निश्चित ही आप भी इस बात को भली भांति समझ गए होगे। खास बात यह है कि धोखे से मिली कामयाबी को अपनी उपलब्धि मान रहे इस नेता की महत्वाकांक्षा रूकने का नाम नही ले रही है। हालात यह है कि महीने के आधे दिन ये राजधानी में गुजार रहे है। शेष समय में यह विधानसभा क्षेत्र में देखे जाते है।वही कभी कभार मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी योजनाओं मे भी प्रशासनिक अधिकारियों के बीच मे भी देखे जा रहे है।

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