मध्यप्रदेश

राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर लगती अमिलिया की बाजार,1 लाख 50 हजार 200 में कर दी गई नीलामी।

राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर लगती अमिलिया की बाजार,1 लाख 50 हजार 200 में कर दी गई नीलामी।

सीधी सिहावल: सीधी जिले के जनपद पंचायत सिहावल अंतर्गत ग्राम पंचायत अमिलिया मे लगने वाले साप्ताहिक बाजार की आज नीलामी कर दी गई है। जनपद पंचायत सीईओ के आदेश के अनुसार ग्राम पंचायत अमिलिया के सचिव ध्रुव कुमार चतुर्वेदी एवं रोजगार सहायक मनीष सिंह तथा महिला सरपंच पार्वती कोरी की मौजूदगी में पंचायत भवन में नीलामी की प्रक्रिया 12:00 बजे से प्रारंभ की गई पंचायत बाजार की नीलामी 1 लाख 10 हजार से प्रारंभ की गई थी।
बाजार की नीलामी लेने पहुंचे तीन लोग

अमिलिया साप्ताहिक बाजार की नीलामी इससे पहले भी दो बार पंचायत द्वारा घोषणा की गई थी परंतु कुछ पंचों पर विरोध करने के बाद नीलामी को रद्द कर दिया गया था पुन आज 26 मई को नीलामी की प्रक्रिया प्रारंभ की गई जिसमें राघवेंद्र शुक्ला संतोष त्रिपाठी उमाकांत शुक्ला के द्वारा नीलामी की प्रक्रिया में हिस्सा लिया गया बाजार का नीलामी राघवेंद्र शुक्ला को मिली।

मुश्किल से 10 लोग नीलामी में रहे मौजूद

पंचायत भवन में नीलामी की प्रक्रिया रखी गई परंतु पंचायत भवन में सारी कुर्सियां खाली पड़ी रही 10 लोगों के बीच नीलामी की प्रक्रिया पूरी की गई।
5000 के ऊपर की आबादी वाले ग्राम पंचायत में सिर्फ 10 लोगों की उपस्थिति कहीं ना कहीं प्रश्नचिन्ह अवश्य खड़ा कर रही है।


ग्राम पंचायत के पास नहीं है बाजार लगाने की भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगती बाजार

अमिलिया में लगने वाली साप्ताहिक बाजार राष्ट्रीय राज्य मार्ग के पटरी पर लगती है जो बहरी से हनुमाना की ओर जाती है एमपीआरडीसी की यह रोड कहलाती है इसके बावजूद भी ग्राम पंचायत के द्वारा सड़क किनारे लगने वाली दुकानों की नीलामी कर दी जाती है।

रविवार के दिन लगता लंबा जाम

राष्ट्रीय राजमार्ग के पटरी पर दुकान लगने की वजह से यात्रियों को खतरा हमेशा बना रहता है क्योंकि बाजार में इतनी ज्यादा भीड़ हो जाती है कि लंबा लंबा जाम लग जाता है पुलिस प्रशासन को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है जाम खुलवाने के लिए।

साफ सफाई पीने का पानी बाथरूम करने की नहीं है सुविधा और नाही वाहन पार्किंग की

अमिलिया में लगने वाले साप्ताहिक बाजार अगर बात करें तो हर वर्ष नीलामी करवा दी जाती है परंतु बाजार में ना तो साफ सफाई करवाई जाती है और ना ही बाजार में आने वाले व्यापारियों को सुविधा की जाती है ना तो शुद्ध पीने का पानी नाही बाथरूम करने की सुविधा और ना ही बाजार की साफ-सफाई। बाजार में आने वाले लोगों को वाहन खड़े करने की भी सुविधा नहीं है उसके बावजूद भी ग्राम पंचायत के द्वारा बाजार की नीलामी करवा दी जाती है।

पूर्व नीलामी के पैसों का ग्राम पंचायत के पास नहीं है हिसाब

इससे पूर्व में भी बाजार की नीलामी करवाई गई थी जो रकम ग्राम पंचायत को मिली उस पैसे का किस विकास कार्य में काम किया गया यह सिर्फ कागज में ही तय कर लिया जाता है जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। बाजार की नीलामी के आए हुए पैसे का आपसी बंदरबांट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते चुने हुए जनप्रतिनिधि। बड़ा और अहम सवाल यह खड़ा होता है कि जब ग्राम पंचायत के पास स्वयं की भूमि बाजार लगाने के लिए नहीं है सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है तो फिर बाजार की नीलामी क्यों करवाई जाती है साफ तौर पर देखा यह जाता है कि जब आप बाजार से पैसे की वसूली कर रहे हैं तो सुविधा भी देना आपका काम है अब देखना दिलचस्प होगा कि बाजार की नीलामी यथावत रहती है या फिर जनता की आवाज उठेगी और नीलामी रद्द होगी।

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