Sonebhadra: जिला अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में सेटिंग वाले मेडिकल पर भेज कर मंगवाई गयी दवा किया गया ऑपरेशन

आंख के ऑपरेशन के लिए मरीजो से से एक हजार से लेकर तीन हजार तक लगता है खर्च
पोल खोल सोनभद्र
(दिनेश पाण्डेय)
जिला सँयुक्त चिकित्सालय में सिस्टम नही हो रहा है खत्म लगातार चर्चे में बना है जिला अस्पताल ऑपरेशन से सम्बंधित कुछ भी हो चर्चाएं तो बन ही जाती है ।दबी जुबान मरीजों का कहना है कि आँख का ऑपरेशन करने के लिए मरीजो से सेटिंग वाले मेडिकल से दवा मंगवाया जाता है पैसे न देने पर सीधे कहा जाता कि आगे डॉक्टर की जिम्मेदारी नहीं होगी। दूर दराज से आये मरीजो को पैसे देकर दवा खरीदने के लिए मजबूर हो जाते है।कहावत है कि जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा।
अब तक हजारों लोगों के ऑपरेशन हो चुके हैं। मरीजों ने ऑपरेशन के नाम पर मेडिकल से दवा मंगवाकर कमीशन बाध लेते है। लेकिन कोई उसकी शिकायत करने को तैयार नहीं है।आज बुद्धवार को रियल्टी चेकप में दबी जुबान वे यह स्वीकार कर रहे हैं।की बाहर से डाक्टर साहब दवा मंगवाए है। जबकि सरकार दावा करती आ रही है कि जिला अस्पताल में आंख के ऑपरेशन निशुल्क होते हैं। बाहर से लिखी जा रहीं दवाएं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के अनुसार बाहर की दवा लिखना गलत है।
जिला अस्पताल में चाहे 7,6,5,1 जो कमरे में डॉक्टर बैठते है सभी बाहर ही भेजते है। अधिकतर मरीजों को बाहर की दवा ही लिखी जा रही है। मरीजों को अस्पताल से नाममात्र की दवा दी जा रही। डॉक्टर के चेम्बर में एमआर बैठ कर मटरगस्ती कर रहर है आखिर 8 से 2 के बीच कोई एमआर डाक्टर के चेम्बर में बैठकर केकलाट नही दिखा सकता है।बताया जाता है कि अस्पताल के सामने स्थित कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों से डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों का कमीशन तय है। खासकर मरीजों से एक मेडिकल स्टोर संचालक से ही दवा लाने को कहा जाता है।
हमें सूचना मिली थी कि जिला अस्पताल में ऑपरेशन चल रहे हैं।वही केस नम्बर 1 रामदुलारे पुत्र छोटू निवासी कुंडन उर्म 65 वर्ष 1500 रु।केस नम्बर 2 हरिहर पुत्र अछेबर निवासी कुडन उर्म 70 वर्ष 1600 रु,केस नम्बर 3 बरती देवी पत्नी सलखु निवासी कोन चाची कला उर्म 50 वर्ष सभी लोगो का 27 दिसम्बर को हुआ था ऑपरेशन।