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सिर्फ 30 हजार की मदद, 100 फीसदी नुकसान पर मिलेगा प्रति हेक्टेयर

भोपाल। प्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि अगर आपकी फसलों को 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान पहुंचा है तो 32 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से हम राहत राशि देंगे। लेकिन नियमानुसार यह संभव नहीं है। नियम के अनुसार अगर किसी आपदा से किसान की 100 फीसदी फसल खराब होती है तो उसे प्रति हेक्टेयर सिर्फ 30 हजार स्पए की मदद मिलेगी। ऐसे में मुख्यमंत्री ने जो घोषणा की है वह केवल खोखली है।

गौरतलब है कि प्रदेश के कई जिलों में ओलावृष्टि से खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो गई है। लाखों हेक्टेयर जमीन में गेहूं, चना और सरसों फसल काली पड़ गई। असहाय किसान अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। अफसर-नेता खेतों में जाकर नुकसानी का आकलन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने मदद के लिए आश्वस्त किया है, वहीं विपक्ष ने सड़क से लेकर सदन तक सरकार को घेर लिया है। लेकिन, जिस नियम के तहत किसानों को मुआवजा मिलेगा, वो 5 साल पुराने हैं। नुकसान की भरपाई के लिए जितनी राशि का प्रावधान है, वो आटे में नमक समाए, इतना ही है।

5 साल पुराने नियम से मुआवजा
प्राकृतिक आपदा से प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति, उसकी फसल, मकान और मवेशी के लिए आरसीबी (6-4) के तहत क्षतिपूर्ति राशि निर्धारित है। मप्र शासन के राजस्व पुस्तक परिपत्र में इसका उल्लेख है। वर्तमान में ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों को इसी नियमावली के तहत राहत राशि दी जानी है। प्राकृतिक प्रकोपों जैसे- अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, बेमौसम बारिश, पाला, शीतलहर, कीट-इल्ली, टिड्डी प्रकोप आदि। इसी तरह बाढ़, आंधी, तूफान, भूकंप, सूखा एवं अग्नि दुर्घटनाओं से फसल नुकसानी, जनहानि या पशुहानी होती है। ऐसे में किसानों को अप्रत्याशित नुकसानी झेलना पड़ती है। इन परिस्थितियों में शासन का यह दायित्व हो जाता है कि वह पीडि़तों को तत्काल अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए। ताकि, विपदा का मुकाबला करने में पीडि़त व्यक्ति का मनोबल बना रहे।

कैबिनेट से मंजूरी जरूरी
राजस्व पुस्तक परिपत्र में आखिरी बार संशोधन 1 मार्च 2018 को हुआ था। इसके बाद से यह गाइडलाइन यथावत है। सरकार ने मुआवजे की राशि बढ़ाने को लेकर कोई पहल नहीं की। राजस्व विभाग में अपर कलेक्टर पद से रिटायर्ड हुए बीएल कोचले बताते है कि, प्राकृतिक आपदा प्रभावितों के लिए आरबीसी 6-4 एक सुरक्षा कवच है। लेकिन वास्तविकता में इसका लाभ प्रभावितों को नहीं मिलता है। क्षतिपूर्ति की राशि मिलती भी है तो काफी कम है। सरकार चाहे तो गाइडलाइन में हर साल परिवर्तन कर सकती है। सिर्फ आर्थिक सहायता के मानदंड में परिवर्तन करके कैबिनेट से मंजूरी देना होती है।

ऐसे मिलेगा मुआवजा
आरबीसी के तहत सिंचित फसल में 25 से 33 प्रतिशत नुकसानी होने पर 9 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा निर्धारित है। यदि नुकसानी 33 से 50 प्रतिशत तक है, प्रति हेक्टेयर 15 हजार रूपए, 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसानी होने पर 30 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर क्षतिपूर्ति मिलेगी। ज्ञात हो कि एक हेक्टेयर में ढ़ाई एकड़ जमीन होती है। 2 हेक्टेयर यानी 5 एकड़ से ज्यादा भूमिधारक किसानों के लिए सिंचित फसल में 25 से 33 प्रतिशत नुकसानी होने पर 6500 रूपए प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा निर्धारित है। यदि नुकसानी 33 से 50 प्रतिशत तक है, प्रति हेक्टेयर 13 हजार 500 रूपए, 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसानी होने पर 27 हजार रूपए प्रति हेक्टेयर क्षतिपूर्ति मिलेगी।

आरबीसी में उद्यानिकी फसलों के लिए भी मुआवजा निर्धारित है। यदि फलदार पेड़ को 33 प्रतिशत तक नुकसान होता है तो 400 रूपए और 33 प्रतिशत से ज्यादा होने पर 500 रूपए प्रति पेड़ के हिसाब से क्षतिपूर्ति दी जाती है। संतरा और अनार के पेड़ के लिए यही राशि निर्धारित है। बाकी, नींबू का बगीचा, पपीता, केला और अंगूर के बगीचे के लिए 7500 रूपए से लेकर 13 हजार 500 रूपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से क्षतिपूर्ति निर्धारित है।

राजस्व विभाग को सर्वे का जिम्मा
नुकसानी के सर्वे के लिए शासन ने राजस्व विभाग को जिम्मा दिया। विभाग के पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर से लेकर संभागायुक्त के पास सर्वे और सहायता राशि जारी करने का जिम्मा रहता है, जो कि जमीनी स्तर पर जाकर नुकसानी का आकलन करते हैं। यदि क्षति हुई है, तो शासन द्वारा स्वीकृत एवं निर्धारित मानदंडों के आधार पर आर्थिक सहायता का प्रकरण बनाते हैं। प्रभावित व पीडि़तों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत दी गई समयावधि में जारी करना होता है।

सतना, अनूपपुर और पन्ना में ओलावृष्टि
मप्र के सतना, अनूपपुर और पन्ना जिले के कई गांवों में रविवार की दोपहर को तेज हवा, बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई। इससे खेतों में खड़ी और कटी पड़ी फसल को नुकसान हुआ है। सतना जिले की मैहर तहसील के ग्राम बुढ़ेरुआ के किसान अनूप पटेल ने बताया कि चना, मसूर की फसलों की लगभग कटाई हो चुकी है। खेतों में अभी गेहूं, सरसो, प्याज की फसलें लगी हैं। रविवार दोपहर अचानक मौसम बदला, फिर जोरदार बारिश के साथ जबरदस्त ओलावृष्टि शुरू हो गई। करीब 15 मिनट तक बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई। इससे गेहूं खेतों में बिछ गया। अधिकतर गेहूं पक गया था। ओले लगने से गेहूं की बालियां टूट कर खेत में गिर गई। काफी नुकसान हुआ है। सरकार को तुरंत ही खेतों का सर्वे कराकर नुकसान का मुआवजा देना चाहिए। पन्ना जिले में रविवार दोपहर तेज हवा के साथ जोरदार बारिश हुई। अमानगंज तहसील के लगभग 15 गांवों में बेर के बराबर ओले गिरे। जानकारी के अनुसार कमताना, मझगवां सहित कई गांवों में बेर से बड़े आकार के ओले गिरे।
कुछ गांवों में तो ओलों का आकार आंवले के बराबर रहा।
ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है।

बारिश के साथ गिरे ओले
अनूपपुर सहित सतना जिले के विभिन्न गांव में एक बार फिर मौसम ने करवट बदला। अनूपपुर जिला मुख्यालय के समीप स्थित देवहरा गांव में सुबह से हो रही रुक-रुक के बारिश के बाद अचानक दोपहर में ओले गिरने लगे। ओले गिरने के कारण विभिन्न फसलों को भी नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा हैं। इसके अलावा सतना जिले के कई गांवों में ओलावृष्टि होने की जानकारी है।

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