दुकान आवंटन में फर्जीवाड़ा,कलेक्टर ने कराया सील

देवसर जनपद मुख्यालय के नौढिय़ा ग्राम पंचायत का मामला, पूर्व में पदस्थ जनपद सीईओ की भूमिका संदिग्ध,कार्रवाई करने कलेक्टर ने दिखाई तत्परता
पोल खोल सिंगरौली।
जनपद पंचायत देवसर मुख्यालय के ग्राम पंचायत में निर्मित एक दर्जन दुकानों के आवंटन में फर्जीवाड़ा किये जाने की बू सामने आ रही है। मामला संदिग्ध होने पर कलेक्टर के यहां शिकायत की गयी। कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेकर सक्रियता दिखाते हुए तहसीलदार के माध्यम से आज सभी दुकानों को सील करा दिया गया है। अब इस कार्रवाई से देवसर में चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं इस पूरे मामले को लेकर पूर्व में पदस्थ जपं सीईओ पर शक की सुई घूमने लगी है।
दरअसल जनपद पंचायत देवसर के मुख्यालय नौढिय़ा आबाद ग्राम पंचायत में न्यायालय व चितरंगी मार्ग के किनारे पंच परमेश्वर योजना के तहत एक दर्जन दुकानों का निर्माण कराया गया। जहां ग्राम पंचायत के प्रस्ताव का हवाला देकर जनपद पंचायत देवसर के बहुचर्चित तत्कालीन सीईओ ने 21 दिसम्बर 2020 को अपना अभिमत देकर नस्ती को अवलोकनार्थ एवं आदेश के लिए अपर कलेक्टर के यहां भेजा गया। अपर कलेक्टर सिंगरौली ने 14 मार्च 2023 को उपायुक्त ननि को दुकानों के आरक्षण का पालन किया गया है इसके संबंध में अभिमत मांगा गया। जहां 3 मार्च 2023 को उपायुक्त नगर निगम सिंगरौली ने दो दुकानों के आरक्षण पर आपत्ति जताया था। जिस पर अपर कलेक्टर के यहां से दुकान क्र.7 एवं 12 को पुन: आरक्षण अनुसार आवंटित कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये। अन्य दुकानों को आवंटित कर दिया गया। बताया जा रहा है कि नीलाम की गयी दुकानों में व्यापक पैमाने पर गड़बड़झाला हुआ है। दुकानों की सार्वजनिक नीलामी न कराये जाने से शासन को लाखों, करोड़ों रूपये का राजस्व रूपये के रूप में घाटा हुआ है। बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह सब गुपचुप तरीके से दुकानों का आवंटन करा दिया गया। इस पूरे खेल में तत्कालीन ग्राम पंचायत के साथ-साथ और उस दौरान बहुचर्चित जनपद सीईओ की भूमिका संदिग्ध है। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और सेवानिवृत्त जनपद सीईओ पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
ग्रामसभा कब हुई किसी को पता नहीं
यहां के कई बुद्धिजीवी बताते हैं कि दुकानों की नीलामी कब हुई किसके द्वारा करायी गयी किसी को कानो-कान खबर नहीं लगी। यह सब दस्तावेजों में ही धनाढ्य लोगों को आवंटित करा दिया गया। जबकि नियमानुसार दुकानों की नीलामी प्रक्रिया के पूर्व दुकानों के कीमत के बाजार के हिसाब से निर्धारण पंजीयक के पास है। लेकिन कहीं से भी पंजीयक का अभिमत एवं दुकानों के बोली निर्धारण का कीमत नहीं कराया गया। साथ ही इसे ग्रामसभा में खुली बोली करायी जानी चाहिए थी। इसके अलावा समाचार पत्रों में भी इसका प्रकाशन कराना चाहिए था। अंदर ही अंदर तत्कालीन अधिकारी मिलजुल कर अंदर ही अंदर लाखों, करोड़ों रूपये का खेला कर शासन को चूना लगाने का कार्य किया। हालांकि कलेक्टर ने मामले को गंभीरता से लेकर लाखों,करोड़ों रूपये के हेर-फेर को बचाने में सफल हुए।
दुकानों का आवंटन 3 को और अनुमोदन 10 को
दुकानों के आवंटन में व्यापक रूप से फर्जीवाड़ा किये जाने के आरोप लग रहे हैं। आरोप है कि अपर कलेक्टर के यहां से 10 मार्च 2023 को दुकानों के नीलामी करने का अनुमोदन कर दिया गया। दो दुकानों पर आपत्ति की गयी। वहीं ताजुब है कि अनुमोदन के पहले ही 3 मार्च को दुकानों का आवंटन कर दिया गया। अब जनपद पंचायत के साथ-साथ पूर्व के सरपंच भी सवालों में घिरते जा रहे हैं। सवाल उठाया जा रहा है कि करीब दो साल तक उक्त नस्ती कहां थी। अब इन्हीं बातों को लेकर नगरवासी कलेक्टर के यहां फरियाद किया। जहां कलेक्टर अरूण कुमार परमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दुकानों को सील कराने के लिए निर्देश जारी किया और आज तहसीलदार मौके से पहुंच दुकानों को सील कर दिया।
देवसर तहसीलदार के साथ तूतू-मैंमैं
कलेक्टर एवं एसडीएम देवसर के निर्देश पर दुकानों को सील करने पहुंचे तहसीलदार के साथ तीन-चार व्यापारियों ने तूतू-मैंमैं करना शुरू कर दिया। यहां तक की कई दुकानदारों ने तहसीलदार को धमकाने भी लगे। फिर भी तहसीलदार अपने कार्रवाई में लगे रहे। अंत में उन्होंने सख्त लहजे में समझाया। तब व्यापारियों के होश ठिकाने लगे। फिर भी व्यापारी तहसीलदार के समक्ष अपनी हेकड़ी दिखाते रहे।
इनका कहना है-दुकानों पर कुछ लोगों ने कब्जा जमाया हुआ था। शिकायत मिलने पर एसडीएम के दिशा-निर्देशों के अनुसार दुकानों को सील करा दिया गया है। यदि किसी के द्वारा दुकान के सील को तोड़ा जाता है तो कानूनी कार्रवाई होगी। दिलीप सिंह,तहसीलदार,देवसर